नई दिल्ली। INS विक्रांत के आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है। यह वीडियो INS विक्रांत की कमीशनिंग सेरेमनी की झलकियों का है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे और उन्होंने देश को पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत समर्पित किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन! जब मैं कल आईएनएस विक्रांत पर सवार था तो उस गर्व की भावना को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।”
पीएम मोदी द्वारा शेयर किए गए वीडियो में कमीशनिंग सेरेमनी की झलकियां हैं। यह वीडियो भारतीय नौसेना के अदम्य साहस, अद्भुत विरासत और अतुलनीय पराक्रम से भरा है। दो मिनट 52 सेकंड के वीडियो में कार्यक्रम की सभी यादों को संजोया गया है।
INS विक्रांत को देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आजादी के आंदोलन में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस सक्षम, समर्थ और शक्तिशाली भारत का सपना देखा था। उसकी जीती जागती तस्वीर विक्रांत है। अगर समंदर और चुनौतियां अनंत हैं तो भारत का उत्तर है-विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय योगदान है-विक्रांत।
सबसे पहली और गौर करने वाली बात यह है कि भारत में बने आईएनएस विक्रांत में इस्तेमाल सभी चीजें स्वदेशी नहीं हैं। यानी कुछ कलपुर्जे विदेशों से भी मंगाए गए हैं। हालांकि, नौसेना के मुताबिक, पूरे प्रोजेक्ट का 76 फीसदी हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से बना है।
विक्रांत के निर्माण के लिए जरूरी युद्धपोत स्तर की स्टील को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) से तैयार करवाया गया। इस स्टील को तैयार करने में भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) की भी मदद ली गई। बताया गया है कि SAIL के पास अब युद्धपोत स्तर की स्टील बनाने की जो क्षमता है, वह आगे देश में काफी मदद करेगी।
नौसेना के मुताबिक, इस युद्धपोत की जो चीजें स्वदेशी हैं, उनमें 23 हजार टन स्टील, 2.5 हजार टन स्टील, 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिक केबल, 150 किमी के बराबर पाइप और 2000 वॉल्व शामिल हैं। इसके अलावा एयरक्राफ्ट कैरियर में शामिल हल बोट्स, एयर कंडीशनिंग से लेकर रेफ्रिजरेशन प्लांट्स और स्टेयरिंग से जुड़े कलपुर्जे देश में ही बने हैं।