देहरादून। पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ चार साल से चल रही जांच आखिरकार पूरी हो गई है। पूर्व आईएएस डीके कोटिया ने एक हजार से अधिक पन्नों की जांच रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है। बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में जो बातें हैं, वे सिद्धू के लिए और भी ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। सिद्धू के खिलाफ एक मुकदमा राजपुर थाने में भी दर्ज है। इसकी जांच सीओ मसूरी कर रहे हैं।
डीजीपी रहते बीएस सिद्धू पर वीरगिरवाली आरक्षित वन क्षेत्र में भूमि खरीदने और पेड़ कटवाने के आरोप लगे थे। यह मामला एक मुकदमे की जांच में तत्कालीन विवेचना अधिकारी के सामने आया था। यह भी आरोप लगे कि मामला सामने आने के बाद सिद्धू ने विवेचना अधिकारी के खिलाफ ही जांच बैठा दी।
इसके बाद वन अधिकारियों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करा दिया। डीजीपी सिद्धू को 30 अप्रैल 2016 को सेवानिवृत्त होना था। इससे एक दिन पहले वह ऊधमसिंह नगर दौरे पर थे। इस पर गृह विभाग ने उन्हें 29 अप्रैल 2016 को ही इन आरोपों को शामिल करते हुए चार बिंदुओं पर चार्जशीट सौंप दी। इससे बीएस सिद्धू की मुश्किलें बढ़ गईं।
उनकी ग्रेच्युटी रोककर विभागीय जांच शुरू करा दी गई। शासन ने कई जांच अधिकारी नियुक्त किए लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकले। इसके बाद वर्ष 2019 में शासन ने पूर्व आईएएस डीके कोटिया को इस मामले में विस्तृत जांच करने की जिम्मेदारी दी। कोटिया ने इस दरम्यान कई और जांचें भी कीं। इससे इस जांच में समय लगा।
आखिरकार चार साल बाद जांच पूरी कर ली गई है। कोटिया ने एक हजार पन्नों का एक पुलिंदा गृह विभाग को सौंपा है। बताया जा रहा है कि जो आरोप पूर्व डीजीपी पर लगे थे, उनकी जांच के लिए कई विभागों से दस्तावेज भी इस रिपोर्ट में लगाए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, जांच रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि भी हुई है।
ये थे आरोप
- आरक्षित वन भूमि से एक बार 21 और एक बार चार पेड़ काट डाले गए।
- जांच कर रहे विवेचना अधिकारी निर्विकार चौधरी का उत्पीड़न किया गया।
- पद का दुरुपयोग कर वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
- वीरगिरवाली में मृत व्यक्ति के नाम पर दर्ज जमीन को धोखाधड़ी कर खरीदा गया।