गोरखपुर। एम्स में एमबीबीएस छात्रा के यौन उत्पीड़न का मामले सामने आने के बाद कार्यकारी निदेशक डॉ जीके पाल ने चिकित्सा अधीक्षक समेत नौ पदों पर बदलाव करते हुए नए अफसरों नियुक्ति कर दी है। साथ ही डीन स्टूडेंट अफेयर और फैकल्टी ऑफ फाइनेंस के दो नये पद सृजित किये हैं। डीन स्टूडेंट अफेयर की जिम्मेदारी स्त्री एवं प्रसूति विभाग की अध्यक्ष डा. शिखा सेठ को दी गई है। डॉ सेठ छात्रों और एम्स प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए काम करेंगी।
कार्यकारी निदेशक ने बताया कि चिकित्सा अधीक्षक की जिम्मेदारी हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय भारती को सौंपी गई है। इसके अलावा डीन रिसर्च व रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी डॉ. हरिशंकर जोशी को सौंपी गई है। वह कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन के विभागाध्यक्ष हैं। बाल रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. महिमा मित्तल को डीन एकेडमिक बनाया गया है।
फार्माकोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार सौरभ को डीन एग्जामिनेशन बनाया गया है। पहले वह मेडिकल सुपरिटेंडेंट थे। एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. विक्रमवर्धन को फैकल्टी रिसर्च बनाया गया है। वह डीन रिसर्च की मदद में रहेंगे। पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सुबोध कुमार को फैकल्टी एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी दी गई है।
वह उपनिदेशक प्रशासन को को-ऑर्डिनेट करेंगे। एम्स में नया पद फैकल्टी ऑफ फाइनेंस भी सृजित हुआ है। इसकी जिम्मेदारी दंत रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीनिवास टीएस को दी गई है। अस्पताल के इंतजामों को दुरुस्त करने के लिए डॉ. आनंद मोहन दीक्षित को डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट बनाया गया है। बताया जा रहा है कि बदलाव की रूपरेखा पहले ही तय कर ली गई थी। लेकिन, यौन उत्पीड़न प्रकरण के बाद शुक्रवार रात प्रेसिडेंट के साथ मीटिंग में इस पर सहमति बन गई। शनिवार से इसे प्रभावी कर दिया गया।
कार्यकारी निदेशक ने प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक प्रशासकीय कमेटी भी गठित की है। इसके अध्यक्ष कार्यकारी निदेशक स्वयं हैं, जबकि उपाध्यक्ष के तौर पर डीन एकेडमिक को रखा गया है। इसके अलावा डीन रिसर्च, डीन स्टूडेंट वेलफेयर, डीन एग्जामिनेशन, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, उपनिदेशक प्रशासन, फैकेल्टी आफ फाइनेंस, लीगल एडवाइजर के साथ ही मानसिक रोग, नेत्र रोग, फार्मोकोलॉजी और बायोकेमेस्ट्री के विभागाध्यक्षों को भी सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। कार्यकारी निदेशक ने बताया कि प्रशासन के संचालन के लिए आवश्यक पदों पर बदलाव की जरूरत थी।