फरीदकोट (पंजाब)। 20 लाख रुपये रिश्वत वसूलने के मामले में फरार चल रहे फरीदकोट के तत्कालीन एसपी गगनेश कुमार शर्मा व एक अन्य जसविंदर सिंह जस्सी ठेकेदार ने मंगलवार को फिरोजपुर स्थित विजिलेंस दफ्तर में आत्मसमर्पण कर दिया। ये रिश्वत कोटकपूरा के गांव कोटसुखिया के चार साल पुराने बाबा दयाल दास हत्याकांड में आईजी फरीदकोट के नाम पर शिकायतकर्ता को डरा धमकाकर मांगी गई थी। विजिलेंस फिरोजपुर के एसएसपी गुरमीत सिंह ने दोनों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।
28 फरवरी 2024 को एसपी की जमानत को विजिलेंस की अपील पर हाईकोर्ट की ओर से खारिज किया गया था। दोनों ही आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं जिला अदालत व उच्च न्यायालय से रद्द हो चुकी थीं और विजिलेंस द्वारा गिरफ्तारी के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा था। विजिलेंस द्वारा दोनों को बुधवार फरीदकोट की अदालत में पेश करके पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार गांव कोटसुखिया के बाबा दयाल दास हत्याकांड में मुख्य आरोपी के क्लीनचिट हासिल किए जाने के बाद शिकायतकर्ता बाबा गगन दास ने फरीदकोट रेंज के आईजी के पास नए सिरे से पड़ताल करने का आवेदन दिया था, जिस पर आईजी ने एसपी गगनेश कुमार शर्मा की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया। उक्त एसआईटी ने शामिल एसपी के अलावा डीएसपी फरीदकोट सुशील कुमार व आईजी दफ्तर के एसआई खेमचंद पराशर ने दो अन्य निजी व्यक्तियों महंत मलकीत दास व जसविंदर सिंह जस्सी ठेकेदार के साथ मिलकर बाबा गगन दास से हत्यकांड केस में बाबा जरनैल दास को दोबारा नामजद करने के लिए 50 लाख की मांग करनी शुरू कर दी।
रिश्वत के लिए पुलिस अधिकारियों ने बाबा गगन दास को डराना धमकाना भी शुरू किया और 35 लाख रुपये सौदा करके 20 लाख की वसूली भी कर ली। रिश्वत लेकर भी जब बाबा जरनैल दास पर कार्रवाई न हुई तो बाबा गगन दास ने पंजाब सरकार की भ्रष्टाचार रोकू हेल्पलाइन व डीजीपी पंजाब से शिकायत कर दी। इस शिकायत पर पड़ताल के लिए डीआईजी फिरोजपुर की अगुवाई में एसआईटी गठित हुई जिसकी रिपोर्ट के बाद पिछले साल जून माह में थाना सदर कोटकपूरा में एसपी, डीएसपी व एसआई समेत बाकी दोनों निजी व्यक्तियों पर केस दर्ज हुआ और केस विजिलेंस को सौंप दिया गया।
इस मामले के डीएसपी सुशील कुमार को विजिलेंस ने गिरफ्तार किया था जबकि एसआई व महंत मलकीत दास ने क्रमवार विजिलेंस व अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। अब बाकी दोनों आरोपियों एसपी व जस्सी ठेकेदार ने भी मंगलवार को आत्मसमर्पण कर दिया। 20 लाख के रिश्वत प्रकरण में फरीदकोट के तत्कालीन आईजी प्रदीप कुमार यादव भी विवाद में घिरे हुए हैं। चूंकि इस केस में नामजद महंत मलकीत दास को सरकारी गवाह बनाया जा चुका है जिन्होंने अदालत में दर्ज करवाए बयान में खुलासा किया था कि यह रिश्वत आईजी के नाम पर नहीं बल्कि उनकी सहमति से वसूली गई थी। इस बयान के आधार पर विजिलेंस ब्यूरो द्वारा आईजी पर कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है।