देहरादून। 40 साल से भी ज्यादा समय से अभिनय के दुनिया में अपना परचम फहराने वाली हिमानी शिवपुरी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। फिल्मी दुनिया को लंबा समय देने के बाद अब वह अपनी जड़ों की ओर लौटकर पहाड़वासियों के लिए कुछ करना चाहती हैं। वह कहती हैं कि मन में एक टीस है कि दक्षिण भारत, बांग्ला, मराठी, गुजराती सभी प्रदेशों की फिल्मों को देश-विदेश में एक अलग पहचान मिली है, लेकिन उत्तराखंड इससे वंचित है। हमारा राज्य भी अलग पहचान बनाए इसके लिए सरकार के साथ राज्य से बाहर गए लोगों को भी आगे आना होगा।
अभिनेत्री हिमानी ने यह बात प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन में कही। उन्होंने बताया कि वह रुद्रप्रयाग जिले के भटवाड़ी गांव से है। राज्य से बाहर रहकर काफी काम-नाम कर लिया है। अब अपने राज्य और गांव लौटकर यहां के लिए कुछ काम करना चाहती हूं। वह कहती हैं कि गांव से पुरुष तो काम के लिए बाहर चले जाते हैं, लेकिन महिलाएं गांव में रह जाती हैं। अब गांव जाकर महिलाओं से बातचीत की जाएगी कि उनके लिए मनोरंजन के क्षेत्र में, उनके लोकनृत्य, लोकगीतों पर कैसे काम किया जाए, जिससे उन्हें आर्थिक के साथ-साथ मानसिक फायदा भी हो।
हिमानी ने कहा कि फिल्म के क्षेत्र में प्रवासी उत्तराखंडी निवेश कर सकते हैं, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली फिल्मों का निर्माण हो सके। हमारी फिल्मों की भी देश-विदेश में पहचान हो इज्जत हो जो अन्य प्रदेशों की फिल्मों को मिली है। उत्तराखंड में भी काफी प्रतिभा है। बस उन्हें आगे बढ़ाने वाला चाहिए। उन्होंने कहा कि वह तो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ी हैं। क्यों न हमारे राज्य में ही ऐसी कोई संस्था बनाई जाए, जो यहां की प्रतिभा को निखार सके। इससे राज्य की आर्थिक वृद्धि होने के साथ ही रोजगार भी मिलेगा।
उत्तराखंड की लोक कला संस्कृति समृद्ध है। पांडव नृत्य, जागर आदि पर कार्य हो। बाहर के लोग भी यहां की संस्कृति को जाने, समझे। उन्होंने कहा कि अन्य राज्याें की भांति हमारे राज्य का प्रतिनिधित्व क्षेत्रीय फिल्मों में कम होता है। इसके लिए सरकार के साथ ही बाहर गए प्रवासियों को भी आगे आना होगा।