देहरादून : प्रान्तीय रक्षक एवं विकास दल (पीआरडी) स्वयंसेवकों के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण और सुखद निर्णय लिया है। लंबे समय से लंबित मांगों के बाद राज्य सरकार ने वर्दी भत्ते में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। अब पीआरडी स्वयंसेवकों को पुराने प्रावधान के अनुसार हर दो वर्ष में मिलने वाले ₹1500 की जगह ₹2500 प्रदान किए जाएंगे। यह कदम स्वयंसेवकों के कार्य, समर्पण और सेवा को सम्मान देने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे उनके मनोबल में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
इस निर्णय की आधिकारिक जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि राज्य सरकार लगातार पीआरडी स्वयंसेवकों के हितों को प्राथमिकता दे रही है और उनके कल्याण तथा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि चार धाम यात्रा सहित विभिन्न पर्वों, आयोजनों और महत्वपूर्ण अवसरों पर पीआरडी स्वयंसेवकों ने जिस निष्ठा से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है, उसके बाद यह आवश्यक था कि सरकार उनकी आवश्यकताओं और कठिनाइयों को समझकर ठोस कदम उठाए।
कैबिनेट मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश का भौगोलिक स्वरूप कई क्षेत्रों में बेहद कठिन है, और ऐसे में कठिन परिस्थितियों में कर्तव्य निभाने वाले पीआरडी जवानों को अतिरिक्त सहयोग और प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इसी सोच के चलते कुछ समय पूर्व स्वयंसेवकों के वर्दी भत्ते में वृद्धि के लिए निर्देश दिए गए थे, जो अब लागू कर दिए गए हैं।
नए प्रावधान के तहत यह वर्दी भत्ता 42 दिवसीय आधारभूत प्रशिक्षण पूरा करने के बाद तथा इसके बाद हर दो वर्ष में प्रदान किया जाएगा। वर्दी के अंतर्गत सामान्य यूनिफॉर्म के साथ-साथ ठंडे मौसम के लिए अलग से अंगोरा कमीज-पैंट, ऊनी जर्सी और फर वाली जैकेट भी शामिल की गई हैं, ताकि पहाड़ी और ठंडे क्षेत्रों में तैनात स्वयंसेवकों को अतिरिक्त सुरक्षा और सुविधा मिल सके।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह सुविधा सिर्फ उन्हीं स्वयंसेवकों को उपलब्ध होगी, जो शांति और सुरक्षा कार्यों में तैनात रहते हैं, और इसके लिए जिला युवा कल्याण व पीआरडी अधिकारियों की संस्तुति अनिवार्य होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भत्ते का लाभ सही पात्र व्यक्तियों को ही मिले और प्रणाली पारदर्शी बनी रहे।
राज्य सरकार की इस पहल को पीआरडी के भीतर सकारात्मक रूप से महसूस किया जा रहा है, क्योंकि यह न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करेगी बल्कि स्वयंसेवकों के सम्मान और योगदान को भी संस्थागत रूप से स्वीकार करने का प्रतीक है। इससे भविष्य में उनके कार्यक्षेत्र में और अधिक दक्षता तथा प्रेरणा आने की उम्मीद है, जो राज्य के सुरक्षा और जनसेवा अभियानों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।
