
देहरादून: उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने गुजरात प्रवास के दौरान गांधीनगर स्थित राजभवन में गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात उत्तराखंड में सहकारिता और प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों और भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुई।
कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत ने राज्यपाल को उत्तराखंड में आगामी सितंबर माह से शुरू होने वाले सहकारी मेलों के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया, जिसे राज्यपाल ने सहर्ष स्वीकार किया। उन्होंने उत्तराखंड आने और किसानों के साथ संवाद का आश्वासन भी दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुजरात में प्राकृतिक खेती के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि गुजरात के हर गांव में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप कई किसान प्रति एकड़ पाँच लाख रुपये तक की आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि यह भूमि, जल, वायु और मानव स्वास्थ्य की भी रक्षा करती है। यह पद्धति किसानों को आत्मनिर्भर बनाती है और समाज को दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ समाधान देती है।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि आज के समय में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग हैं, लेकिन प्राकृतिक खेती और जैविक खेती के बीच के अंतर को समझना आवश्यक है। जब तक यह भेद किसानों को समझ में नहीं आता, तब तक वे पूरी तरह से प्राकृतिक खेती को नहीं अपना पाएंगे। उन्होंने उत्तराखंड में विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाओं की ओर इशारा किया और सुझाव दिया कि सहकारिता और प्राकृतिक खेती को जोड़कर किसानों तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुँचा जा सकता है।
डॉ. धन सिंह रावत ने राज्यपाल को उत्तराखंड में सहकारिता विभाग द्वारा चलाई जा रही वीर माधो सिंह भंडारी संयुक्त सहकारी खेती योजना की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के माध्यम से किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है और उनकी आय में वृद्धि हो रही है। मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में सहकारिता आंदोलन को व्यापक रूप देने के लिए सितंबर माह से राज्यभर में सहकारी मेलों का आयोजन किया जाएगा, ताकि सहकारिता की भावना को गांव-गांव तक पहुँचाया जा सके।
यह मुलाकात न केवल दोनों राज्यों के बीच सहकारिता और प्राकृतिक खेती जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अनुभव साझा करने का अवसर बनी, बल्कि उत्तराखंड में कृषि क्षेत्र के विकास की दिशा में संभावनाओं के नए द्वार भी खोलती है।