
रुद्रप्रयाग। देवभूमि उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ — बदरीनाथ और केदारनाथ धाम — आज दीपावली के अवसर पर दीपों और फूलों की रोशनी से जगमगाने को तैयार हैं। दोनों ही धामों को दीपोत्सव के लिए भव्य रूप से सजाया गया है। बदरीनाथ धाम को 12 क्विंटल गेंदे के फूलों से सुसज्जित किया गया है, वहीं गुलाब और अन्य फूलों से आकर्षक आकृतियां बनाई गई हैं।
बदरीनाथ धाम में पुष्प-सज्जा और विशेष पूजा
बदरीनाथ मंदिर में बीकेटीसी (बदरी-केदार मंदिर समिति) की ओर से तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के सहयोग से दीपोत्सव मनाया जाएगा। डिमरी केंद्रीय पंचायत, मेहता, भंडारी और कमदी समुदायों के हक-हकूकधारी दीप प्रज्ज्वलित करेंगे।
बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि दीपावली के अवसर पर मंदिर परिसर के साथ ही मार्गों को भी दीपों से सजाया गया है। मुंबई, गुजरात और सिलीगुड़ी से आए श्रद्धालुओं ने कहा कि फूलों से सजा बदरीनाथ मंदिर अत्यंत भव्य और दिव्य दिखाई दे रहा है।
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि इस वर्ष मंदिर को सजाने के लिए फूलों की व्यवस्था मुंबई के एक श्रद्धालु की ओर से की गई है। दीपावली के दिन बदरीनाथ धाम में माता लक्ष्मी, कुबेर जी और भगवान बदरीविशाल के खजाने की विशेष पूजा की जाती है। श्रद्धालु और स्थानीय लोग मंदिर परिसर में दीप जलाकर भगवान से समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करेंगे।
धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल ने बताया कि दीपावली के अवसर पर बदरीनाथ में हर वर्ष पारंपरिक पूजा-विधि के साथ उत्सव मनाया जाता है। श्रद्धालुओं के दीपों से पूरा धाम आलोकित हो उठता है।
केदारनाथ धाम में कपाट बंद होने की तैयारी, मंदिर सजा फूलों से
केदारनाथ मंदिर में कपाट बंद होने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। रविवार को भकुंट भैरव की आज्ञा लेने के बाद मंदिर के गर्भगृह से स्वयंभू लिंग के ऊपर स्थापित सोने का छत्र और कलश उतारा गया। सोमवार से भगवान केदार की सूक्ष्म आरती होगी।
पंचपंडा रुद्रपुर के हक-हकूकधारियों ने यह प्रक्रिया पूरी की। इस अवसर पर केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, महामंत्री अंकित सेमवाल, ब्लॉक प्रमुख पंकज शुक्ला और अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।
कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर को तीन क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया जा रहा है। राजकुमार तिवारी ने बताया कि यह पुष्प सज्जा न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि भक्ति और श्रद्धा का भी प्रतीक है।
आज बदरी-केदार दोनों धामों में दीपों की यह अद्भुत छटा न केवल भक्तों के हृदयों को आलोकित करेगी, बल्कि देवभूमि की अध्यात्मिक परंपरा को भी और उज्जवल बनाएगी।