
दिल्ली : पुलिस की अपराध शाखा ने बिहार पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान में गुरुवार तड़के एक बड़ी सफलता हासिल की। इस अभियान के दौरान दिल्ली के रोहिणी इलाके में हुई मुठभेड़ में बिहार के कुख्यात रंजन पाठक-मनीष पाठक गिरोह के चार मोस्ट वांटेड अपराधी मारे गए। यह मुठभेड़ सुबह करीब 2:20 बजे बहादुर शाह मार्ग स्थित डॉ. अंबेडकर चौक और पंसाली चौक के बीच हुई। पुलिस के अनुसार, ये सभी आरोपी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले किसी बड़े आपराधिक वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।
अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि यह गिरोह लंबे समय से बिहार और उसके आस-पास के राज्यों में सक्रिय था और हत्या, रंगदारी, और अपहरण जैसे कई गंभीर मामलों में वांछित था। पुलिस को कई दिनों से सूचना मिल रही थी कि गिरोह के कुछ सदस्य दिल्ली में छिपे हुए हैं। इसी आधार पर बिहार और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने मंगलवार और बुधवार की मध्यरात्रि से ही इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया था। इस अभियान के दौरान जब पुलिस टीम ने संदिग्धों को घेरने की कोशिश की तो उन्होंने अचानक फायरिंग शुरू कर दी।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मरक्षा में जवाबी फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें चारों अपराधी गोली लगने से घायल हो गए। उन्हें तुरंत रोहिणी के एक नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मारे गए अपराधियों की पहचान बिहार निवासी रंजन पाठक, विमलेश महतो, मनीष पाठक और अमन ठाकुर के रूप में हुई है। इनमें रंजन पाठक को इस गिरोह का सरगना माना जाता था, जो बिहार के सीतामढ़ी जिले के सुरसंड थाना क्षेत्र के मल्हाई गांव का रहने वाला था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, रंजन पाठक ने बिहार और आसपास के राज्यों में एक संगठित आपराधिक नेटवर्क खड़ा किया था। उसका गिरोह हत्या, लूटपाट, फिरौती, और अवैध वसूली जैसी वारदातों में शामिल था। उसके खिलाफ बिहार के विभिन्न जिलों में दर्जनों गंभीर मामले दर्ज थे। इसी गिरोह से जुड़े मनीष पाठक और विमलेश महतो भी लंबे समय से फरार चल रहे थे और पुलिस को इनकी तलाश थी।
मारे गए अपराधियों में बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी (25 वर्ष) सीतामढ़ी जिले के बाजपट्टी थाना क्षेत्र के रतनपुर गांव का निवासी था। मनीष पाठक (33 वर्ष), अरविंद पाठक का पुत्र, मल्हाई गांव का ही रहने वाला था। चौथा अपराधी, अमन ठाकुर (21 वर्ष), दिल्ली के करावल नगर स्थित शेरपुर का निवासी बताया गया है।
पुलिस ने घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार और कारतूस बरामद किए हैं। इनमें दो ऑटोमैटिक पिस्तौल, एक देशी कट्टा, कई जिंदा कारतूस और एक कार शामिल है, जिसे अपराधी वारदात के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। फॉरेंसिक टीम ने मौके से सबूत इकट्ठा कर जांच शुरू कर दी है।
एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि गिरोह दिल्ली में अपने पुराने नेटवर्क को सक्रिय करने की कोशिश में था और बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ राजनीतिक विरोधियों और कारोबारियों से वसूली करने की योजना बना रहा था। पुलिस को शक है कि गिरोह के कुछ अन्य सदस्य अभी भी दिल्ली या आसपास के इलाकों में छिपे हो सकते हैं।
मुठभेड़ के बाद पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने रोहिणी, करावल नगर, और बाहरी दिल्ली के कई इलाकों में छापेमारी शुरू कर दी है ताकि गिरोह से जुड़े अन्य अपराधियों को भी पकड़ा जा सके। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने इस संयुक्त अभियान में शामिल टीम की सराहना करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन कानून-व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में एक बड़ी सफलता है और इससे अपराध जगत को कड़ा संदेश मिला है कि किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह वही गिरोह है जिसने पिछले वर्ष बिहार में कई ठेकेदारों और व्यापारियों से रंगदारी मांगने की वारदातों को अंजाम दिया था। रंजन पाठक और मनीष पाठक के खिलाफ सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और दरभंगा पुलिस को लंबे समय से इनकी तलाश थी। इस मुठभेड़ के बाद बिहार पुलिस ने भी राहत की सांस ली है और अब गिरोह के नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए आगे की जांच की जा रही है।
पुलिस ने फिलहाल चारों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और उनके परिजनों को सूचित कर दिया गया है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि दिल्ली में ये अपराधी किसकी मदद से रह रहे थे और किस उद्देश्य से राजधानी में इकट्ठा हुए थे। पुलिस को उम्मीद है कि आगामी जांच में गिरोह के कई राज खुल सकते हैं, जो बिहार और दिल्ली दोनों में आपराधिक नेटवर्क को कमजोर करने में मददगार साबित होंगे।