बरेली : शाही थाना क्षेत्र में शुक्रवार को एक ऐसा वाकया सामने आया, जिसने गांववालों को हैरानी के साथ खुशी से भर दिया। 25 साल पहले नाराज़ होकर घर छोड़कर गए ओमप्रकाश अचानक गांव लौट आए। परिजनों ने उन्हें वर्षों पहले मृत मान लिया था, लेकिन वह दिल्ली में सलीम की पहचान के साथ ज़िंदगी गुज़ार रहे थे।
गांव पहुँचते ही माहौल उत्सव जैसा हो गया। बैंडबाजे और फूलमालाओं के साथ ग्रामीणों ने ओमप्रकाश और उनके साथ आए 15 वर्षीय बेटे जुम्मन का स्वागत किया। इसके बाद शुद्धिकरण प्रक्रिया हुई और ओमप्रकाश ने दोबारा हिंदू धर्म अपना लिया।
ओमप्रकाश के लौटने पर उनके छोटे भाई रोशन लाल, रिश्तेदार कुंवर सेन, वीरपाल, प्रधान वीरेंद्र राजपूत और पूरे गांव ने लंबे समय बाद मिलन पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि अब वह अपने परिवार के साथ यहीं रहेंगे और गांव के पते पर पहचान पत्र और आवश्यक दस्तावेज बनवाएंगे।
बीते 25 सालों की कहानी खुद ओमप्रकाश ने सुनाई। घर छोड़ने के बाद उन्होंने बरेली में मजदूरी की, फिर दिल्ली चले गए। वहां किराए पर कमरा लेने में पहचान पत्र की दिक्कत आने पर स्थानीय लोगों ने उनका नाम सलीम पुत्र ताहिर हुसैन दर्ज करवा दिया। उन्होंने उस्मानपुर पते पर वोटर कार्ड बनवाया, बाद में मोहल्ले के मंगल की बेटी शाहरबानो से निकाह कर लिया। साथ चलते‐चलते उनके घर में चार बेटियां रुखसाना, रुखसार, रूपा, कुप्पा और बेटा जुम्मन शामिल हो गए। तीन बेटियों की शादी भी हो चुकी है।
दिल्ली में एसआईआर अभियान के दौरान दस्तावेज़ सत्यापन में ताहिर हुसैन की कोई आईडी नहीं मिलने पर ओमप्रकाश की पहचान पर सवाल उठे। इसी वजह से वह मजबूरन गांव लौटे और अपने असली परिवार के बीच वापस आए।दो दशक से ज़्यादा समय तक गुम रहने के बाद घर वापसी की यह घटना गाँव में चर्चा का बड़ा विषय बन गई है।
