श्रीलंका : चक्रवात दित्वा की भयावह तबाही के बाद हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। भारी जनहानि और व्यापक बुनियादी ढांचे की क्षति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने पूरे द्वीप में आपातकाल घोषित कर दिया है। यह निर्णय शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद लिया गया, जिसमें विपक्षी दलों और डॉक्टरों के ट्रेड यूनियन ने भी आपातकाल की मांग की थी। सरकार का कहना है कि आपातकाल लागू होने से राहत, बचाव और पुनर्वास अभियानों में तेजी लाई जा सकेगी और सेना, पुलिस, स्वास्थ्य सेवाओं व नागरिक सुरक्षा बलों की तैनाती को और तेज किया जा सकेगा।
अधिकारियों के अनुसार चक्रवात दित्वा अब श्रीलंका से निकलकर भारत के तटीय क्षेत्र की ओर बढ़ चुका है, लेकिन इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव—तेज हवाएँ और भारी बारिश—अभी भी देश के कई हिस्सों में जारी रहेंगे। आपदा प्रबंधन केंद्र (डीएमसी) के अनुसार सुबह तक 123 लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हुई है जबकि 130 लोग लापता हैं। संचार तंत्र ध्वस्त होने के कारण कई इलाकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है, जिससे आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। जिन जिलों में तबाही सबसे अधिक हुई है वहाँ बिजली व्यवस्था, सड़कें और पेयजल प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
इस कठिन समय में भारत ने मानवीय सहायता भेजकर अपने सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई है। शनिवार को ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत 12 टन राहत सामग्री लेकर एक C-130J विमान कोलंबो पहुँचा। इसमें टेंट, तिरपाल, कंबल, स्वच्छता किट और तैयार भोजन शामिल है। इससे पहले INS विक्रांत और INS उदयगिरि द्वारा 4.5 टन सूखा राशन, 2 टन ताज़ा खाद्य सामग्री और अन्य आवश्यक संसाधन भेजे गए थे। श्रीलंका सरकार ने भारत के त्वरित सहयोग को महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा है कि इससे राहत कार्यों में तेजी आएगी और प्रभावित समुदायों को तत्काल सहायता पहुँच सकेगी।
सरकारी एजेंसियों के अनुसार सभी प्रभावित क्षेत्रों में खोज, बचाव और चिकित्सा सुविधाएँ बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि मौसम के कारण कई इलाकों में पहुँच बनाना अब भी चुनौती बना हुआ है। सरकार ने नागरिकों से संयम बरतने और आधिकारिक निर्देशों का पालन करने की अपील की है, जबकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ दिनों तक मौसम बिगड़ा रह सकता है।
