प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या पूरे विश्व में विख्यात है। विश्व भर में धार्मिक पर्यटन के एक प्रमुख केंद्र अयोध्या का इन दिनों कायाकल्प हो रहा है जिससे आने वाले दिनों में लोगों को अलग प्रकार का अनुभव होगा। यहां विश्व स्तरीय हवाई अड्डा, विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन, सभी तरह की सुविधाओं से युक्त छोटे-बड़े होटल, पर्यटक केंद्र और संग्रहालयों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। माना जा रहा है कि जनवरी 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन के समय तक दिव्य नगरी अयोध्या भव्य स्वरूप ले चुकी होगी।
इस समय सरयू तट पर आप जाएंगे तो तमाम तरह की सुविधाओं के साथ-साथ आपको नदी का जल भी एकदम स्वच्छ मिलेगा। यही नहीं अयोध्या को पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह दीपावली पर सजाया जा रहा है वह दृश्य देखकर पूरी दुनिया अचम्भित हुए जा रही है। अगर आप अयोध्या घूमने आ रहे हैं तो यहां मंदिर ही मंदिर हैं जहां कुछ समय गुजार कर आपको एक अलग ही प्रकार की अनुभूति होगी। अब तो रामलला भी टैंट से निकल कर फाइबर से बने अस्थायी मंदिर में विराजमान हैं जहां उनके दिव्य दर्शन आसानी से किये जा सकते हैं। सप्त पुरियों में से एक नगरी माने जाने वाली अयोध्या के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना मनु ने की थी।
यहां आप श्रीरामजन्मभूमि देखने के अलावा कनक भवन, हनुमानगढ़ी, राजद्वार मंदिर, दशरथमहल, श्रीलक्ष्मण किला, कालेराम मंदिर, मणिपर्वत, श्रीराम की पैड़ी, नागेश्वरनाथ, क्षीरेश्वरनाथ श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मंदिर, गुप्तार घाट समेत अनेक मंदिर देख सकते हैं। इसके अलावा बिरला मंदिर, श्रीमणिरामदास जी की छावनी, श्रीरामवल्लभाकुंज, श्रीलक्ष्मण किला, श्रीसियारामकिला, उदासीन आश्रम रानोपाली तथा हनुमान बाग जैसे अनेक आश्रम भी जा सकते हैं। इसके अलावा विश्व हिन्दू परिषद की कार्यशाला को भी देखना चाहिए क्योंकि बरसों से राम मंदिर निर्माण की तैयारी में यहां बड़ी संख्या में मजदूर लगे हुए थे।
वैसे तो अयोध्या में लगभग हर समय कोई मेला या त्योहार चल ही रहा होता है लेकिन श्रीरामनवमी, श्रीजानकीनवमी, गुरुपूर्णिमा, सावन झूला, कार्तिक परिक्रमा, श्रीरामविवाहोत्सव आदि उत्सव यहाँ बड़े उत्साह के साथ मनाये जाते हैं। मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां सर्वाधिक जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।
उस समय यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। वैसे तो अयोध्या नगरी के हर साधु-संत का काफी मान-सम्मान किया जाता है लेकिन कई उच्चकोटि के संतों की भी यह साधना भूमि रही है। स्वामी श्रीरामचरणदास जी महाराज, स्वामी श्रीरामप्रसादाचार्य जी, स्वामी श्रीयुगलानन्यशरण जी, पं. श्रीरामवल्लभाशरण जी महाराज, श्रीमणिरामदास जी महाराज, स्वामी श्रीरघुनाथ दास जी, पं. श्रीजानकीवरशरण जी, पं. श्री उमापति त्रिपाठी जी आदि ने यहां जो प्रतिष्ठित आश्रम बनाये उनकी बहुत महत्ता है।