देहरादून। पेपर लीक मामले में न्यायालय ने दो आरोपियों की जमानत नामंजूर कर दी है। कोर्ट ने माना है कि पूर्व में कुछ लोगों को जमानत मिलना किसी आरोपी को जमानत देने का आधार नहीं है। आरोपियों ने इसी तर्क पर जमानत मांगी थी। इसके साथ ही तीन अन्य आरोपियों की जमानत मंजूर कर ली गई है। तीनों को एक-एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बंधपत्र और दो-दो जमानती प्रस्तुत करने होंगे।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने कुल 42 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 21 जमानत पा चुके हैं। सोमवार को आरोपी फिरोज हैदर और हिमांशु कांडपाल की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई थी। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपियों के पास से एसटीएफ ने कुछ भी ठोस बरामदगी नहीं की है। इनका परीक्षा की धांधली से लेनादेना नहीं है। चूंकि, कोर्ट से पहले कई आरोपी जमानत पा चुके हैं तो इन दोनों को भी जमानत दी जाए।
लेकिन, एसटीएफ की तफ्तीश के आधार पर अभियोजन ने तमाम दलीलें दीं। कहा कि दोनों आरोपियों की सीडीआर में पुष्टि हुई है। इन्होंने परीक्षा के वक्त कई बार मुख्य आरोपियों से बात की है। हिमांशु के पास से आरोपी अजय के दो ब्लैंक चेक भी बरामद हुए थे। अपर जिला जज चतुर्थ आशुतोष कुमार मिश्रा ने अभियोजन की दलीलों को सही ठहराते हुए दोनों आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
इधर, सोमवार को ही तीन अन्य आरोपी विकास कुमार, मनोज जोशी और संजीव चौहान ने भी जमानत प्रार्थनापत्र कोर्ट में प्रस्तुत किए थे। इन आरोपियों की जमानत कोर्ट ने मंजूर कर ली है। आरोपियों को जमानत के लिए एक-एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बंधपत्र और दो-दो जमानती प्रस्तुत करने होंगे। साथ ही देश छोड़ने पर प्रतिबंध रहेगा।