पौड़ी। मासूम पीयूष के जाने का उसकी दादी सतेश्वरी देवी को इतना सदमा लगा है कि वह आते-जाते लोगों को चाय पिला रही हैं और रुंंधे गले से यह कह रही है कि यह उसके नाम की आखिरी चाय है। इसके बाद वह रो पड़ीं और बार-बार बस यही कहती रही कि कलेजे के टुकड़े की याद आजीवन सालती रहेगी। इस आंगन में बच्चे आगे भी खेलेंगे लेकिन उन बच्चों की किलकारी में मेरे पीयूष की आवाज नहीं सुनाई देगी। वहीं मासूम की मां बेसुध पड़ी है।
मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे निसणी गांव में रविंद्र सिंह का छोटा बेटा पांच वर्षीय पीयूष दोस्तों के साथ पुल के समीप खेल रहा था कि घात लगाए गुलदार ने उस पर हमला कर दिया। दोस्तों की चीख-पुकार व ग्रामीणों के शोर से गुलदार मासूम को छोड़कर तो चला गया लेकिन तब तक वह दमतोड़ चुका था।
घटना के बाद से ही गांव में गम व दहशत का माहौल है। हालांकि लोग पीड़ित परिवार को सांत्वना दे रहे हैं लेकिन वे खुद ही आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। मासूम की मां विनीता देवी बेसुध हैं। जैसे ही उसे होश आता है तो वह फिर बिलखने लगती है। मासूम की दादी सतेश्वरी देवी की आंखों से निरंतर बहता पानी पोते के जाने की तड़प बयां कर रहा है।
सतेश्वरी देवी ने कहा कि पहले भी उस जगह रोज बच्चे खेलते थे और आगे भी खेलते रहेंगे लेकिन अब उन बच्चों की किलकारी में मेरे मासूम पीयूष की आवाज नहीं सुनाई देगी। उसकी अठखेलियां करती छवि आंखों में हमेशा तैरती रहेगी। दूसरी ओर पीयूष के सात वर्षीय भाई को यह समझ ही नहीं आ रहा है कि उसका छोटा भाई कहां है। उसके घर में इतने लोग आखिर क्यों आ रहे हैं और सभी लोग रो क्यों रहे हैं।
निसणी के रविंद्र सिंह दिल्ली में प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं। उन्हें गुलदार के हमले में उनके मासूम की मौत की सूचना मंगलवार को नहीं दी गई। बुधवार सुबह परिजनों ने रविंद्र को घटना की जानकारी दी, जिसके बाद रविंद्र सिंह तत्काल गांव की ओर रवाना हो गए।