देहरादून। बदरीनाथ यात्रा और सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण का काम फिलहाल शुरू नहीं हो पाएगा। शासन की ओर से इस संबंध में आईआईटी रुड़की से रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन रिपोर्ट में वह तथ्य स्पष्ट नहीं हो पाए, जिससे बाईपास निर्माण पर फैसला लिया जाए सके। संस्थान से पुनः रिपोर्ट देने को कहा गया है।
जोशीमठ की तलहटी में करीब छह किमी बाईपास निर्माण की केंद्र सरकार ने ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत वर्ष 2021 में हरी झंडी दी थी। बाईपास निर्माण का जिम्मा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपा गया। इस दौरान चट्टानों की कटिंग का काम शुरू हुआ। हेलंग की तरफ से करीब ढाई से तीन किमी और मारवाड़ी की तरफ से करीब एक किमी चट्टान कटिंग का काम भी पूरा हो गया है लेकिन जोशीमठ में भूधंसाव होने के साथ ही पांच जनवरी को बाईपास निर्माण के काम पर भी ब्रेक लग गया था।
बदरीनाथ यात्रा और सेना की जरूरतों को देखते हुए प्रदेश सरकार बाईपास निर्माण को शीघ्र शुरू कराना चाहती है। इसके तहत आईआईटी रुड़की को इस संबंध में सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा गया था। जिसमें संस्थान को यह बताना था कि बाईपास निर्माण का काम शुरू करने पर ऊपर जोशीमठ में भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र में कोई असर तो नहीं पड़ेगा जबकि संस्थान ने इसके विपरीत अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसमें कहा गया है कि जोशीमठ में भूधंसाव का बाईपास निर्माण पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने आईआईटी की ओर से रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर बाईपास निर्माण शुरू किए जाने का फैसला नहीं लिया जा सकता है। संस्थान से जो रिपोर्ट मांगी गई थी, यह उसके बिल्कुल विपरीत है। इसके लिए आईआईटी रुड़की से पुनः रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भी सूचित किया गया है।