देहरादून । उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से आयोजित कार्यशाला के तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने आपदा प्रबंधन में आधुनिक तकनीक के उपयोग पर अपने व्याख्यान दिए। आईआईटीएम पुणे के वी गोपालकृष्ण ने आकाशीय बिजली से संबंधित जानकारी देते हुए उसके पूर्वानुमान के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसका पूर्वानुमान दामिनी एप से विभिन्न स्थानीय भाषाओं में प्राप्त किया जा सकता है।
नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकेस्टिंग के डाॅ. जॉन पी जॉर्ज ने संख्या के आधार पर मौसम के पूर्वानुमान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया की उनके पास 300 मीटर से 60 किलोमीटर परिधि के लिए स्थानीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर मॉडल उपलब्ध हैं, जिससे एक से छह घंटे के अंतराल पर पूर्वानुमान व्यक्त किया जा सकता है।
सेंटर वाटर कमिशन के राजेश कुमार ने बताया की उनके संस्थान में उत्तराखंड के प्ररिपेक्ष्य में हाइड्रो मेट्रोलॉजिकल ऑब्जर्वेशन, इनफ्लो फोरकास्ट, वाटर क्वालिटी ऑब्जर्वेशन एवं एनवायरमेंटल फ्लो का अनुश्रवण किया जाता है, जिससे राज्य में ड्रेनेज लाइन में जल प्रवाह के दृष्टिगत पूर्व अनुमान जारी किए जाते हैं।
भारतीय मौसम विभाग, पुणे के केएस होसलीकर ने बताया की पूरे विश्व में लगभग एक तिहाई जनसंख्या किसी न किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से ग्रसित है। इस स्थिति में पूर्वानुमान से जान माल की सुरक्षा की जानी आवश्यक है। स्काई मेट के जीपी शर्मा ने बताया की किस प्रकार से विभिन्न मॉडल के माध्यम से वर्षा, तापमान परिवर्तन, आकाशीय बिजली आदि घटनाओं के पूर्वानुमान किए जाते हैं। उत्तराखंड में स्काईमेट की ओर से कुल 56 एडब्ल्यूएस स्टेशन पर अध्ययन किया जाता है।