देहरादून। धामी सरकार का एक साल का कार्यकाल चुनौतियों से निपटने और सख्त फैसले लेने में गुजर गया। 12 महीने की अवधि में शायद ही किसी महीने धामी सहज हुए हों। उन्होंने एक चुनौती से पार पाया तो दूसरी ने दरवाजे पर दस्तक दे दी।
इनमें भर्ती परीक्षा घोटाला, अंकिता हत्याकांड और जोशीमठ आपदा की चुनौती ने धामी सरकार को सबसे ज्यादा मुश्किल में डाला। इन चुनौतियों से जूझते हुए उन्होंने कई सख्त फैसले लिए और महिलाओं और राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए कानून बनाए।
महिला आरक्षण : उच्च न्यायालय ने महिलाओं के सरकारी नौकरियों में 30 फीसद क्षैतिज आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई। धामी सरकार ने कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहां से राहत मिलने के बाद कानून बना दिया।
आंदोलनकारियों का आरक्षण : राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण का भी सरकार पर दबाव बना। सीएम धामी ने राजभवन से सात साल से लंबित पड़े विधेयक को वापस मंगवाया और कैबिनेट ने राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने का फैसला लिया।
धर्मांतरण पर रोक : धामी सरकार में जबरन धर्मांतरण कानून को और अधिक सख्त बना दिया गया। इसमें 10 साल तक सजा का प्रावधान किया गया।
नकल विरोधी कानून : प्रतियोगी परीक्षाओं में घपला सामने आने के बाद सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाया और इसमें 10 साल तक की सजा और संपत्ति जब्त करने के कठोर प्रावधान किए।
विस बैकडोर भर्ती : विधानसभा में बैकडोर से लगे 228 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। स्पीकर के अनुरोध पर सरकार ने इसकी अनुमति दे दी।
डबल जीडीपी : पांच साल में प्रदेश की राज्य के सकल घरेलू उत्पाद दर को दोगुना करने का लक्ष्य बनाया। 2025 तक सशक्त उत्तराखंड बनाने के लिए पहली बार नौकरशाही और मंत्रियों ने मसूरी में चिंतन किया और विकास के एजेंडे के अनुरूप अपनी नीतियां तय कीं।
इन मुश्किलों ने असहज किया
- ऋषिकेश में अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में सरकार और संगठन को मुश्किल में डाला। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया। सरकार को एसआईटी से जांच कराई।
- उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले में भी सरकार असहज हुई। एसटीएफ और एसआईटी को जांच दी गई। सरकार ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में दोनों जांच कराने का फैसला लिया।
- नकल करने और कराने में लिप्त 80 से अधिक लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा।
- हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमण मामला बेशक रेलवे से जुड़ा था, लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर भी दबाव दिखा।
- जोशीमठ में भू धंसाव की घटना ने सरकार को कठिन चुनौती में डाल दिया। सरकार को एनटीपीसी और आसपास चल रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगानी पड़ी। प्रभावितों के लिए पुनर्वास नीति बनाई। पहली बार केंद्रीय एजेंसियों से जोशीमठ भू धंसाव क्षेत्र की तकनीकी जांच कराई। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया।
- सीएम के सामने सबसे पहली परीक्षा उपचुनाव की थी, जिसे उन्होंने 94 फीसद मत के साथ पास किया। हरिद्वार पंचायत चुनाव में पहली बार भाजपा ने जीत का इतिहास रचा।
दूसरे साल की नई चुनौतियां
चारधाम यात्रा : यात्रा से पहले ही चारों धामों की तीर्थ पुरोहित और कारोबारी धामों में यात्रियों की संख्या को सीमित करने का विरोध कर रहे हैं। सरकार के सामने 22 अप्रैल से शुरू हो रही यात्रा को सुगम, सुरक्षित बनाने की चुनौती है।
निकाय चुनाव : इस साल नवंबर में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव के परिणाम धामी सरकार के प्रदर्शन से जोड़कर देखे जाएंगे।
लोकसभा चुनाव : सीएम के सामने 2024 के चुनाव की भी चुनौती है। भाजपा में लोकसभा की पांचों सीटें जीतने का दंभ भर रही है।
सशक्त उत्तराखंड : सरकार ने सशक्त उत्तराखंड का लक्ष्य बनाया है। इस लक्ष्य का पूरा करने के लिए उसने जो नीतियां और योजनाएं तैयार की हैं, उन्हें जमीन पर उतारने की भी सरकार पर बड़ी चुनौती है।