देहरादून। संभावित आपदाओं से घिरे उत्तराखंड राज्य के लिए सेल ब्रॉडकास्ट तकनीक कारगर सिद्ध हो सकती है। इसके माध्यम से बादल फटने, बिजली गिरने, हिमस्खलन, भूस्खलन जैसी आपदाओं के बाद होने वाले वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह तकनीक आपदा की स्थिति में मोबाइल फोन के जरिए लोगों को अलर्ट कर देती है।
ऐसी स्थिति में संभावित आपदा क्षेत्र में जितने भी मोबाइल मौजूद होंगे, वह स्वत: बजने लगेंगे, भले ही उस इलाके का नेटवर्क ठप्प हो गया हो। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से आयोजित कार्यशाला में ऊटीमाको कंपनी के सीईओ रोनेन डैनियल ने सेल ब्रॉडकास्ट पर अपना प्रस्तीतुकरण दिया। उन्होंने बताया कि आपदा के समय में यह तकनीक न्यूनतम समय में लोगों को अलर्ट कर देती है।
यह प्रणाली सीएमएएस अलर्ट का प्रसार करने में सक्षम है, जो चेतावनी जारी करने का विश्व में सबसे बेहतर मानक है। सीएमएएस अलर्ट से पहले मोबाइल पर जोर से बीपिंग ध्वनि अलार्म टोन, फोन का लगातार कंपन होता है और पॉप-अप मैसेज आता है, जो तब तक बंद नहीं होता, जब तक कि संबंधित व्यक्ति उसे स्वयं बंद नहीं करता। इसकी क्षमता कुछ ही मिनट के भीतर लाखों लोगों को सचेत करने की है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से मौसम संबंधी पूर्व चेतावनी भी जारी की जाती है।
जापान, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, इजराइल, कोरिया, नीदरलैंड, यूरोपीय संघ जैसे दुनिया के तमाम देश आज इस तकनीक को अपना रहे हैं। भारत में आंध्र प्रदेश राज्य ने इस तकनीक को अपनाया है, जहां सुनामी और साइकलॉन आने का खतरा बना रहता है।
सेल ब्रॉडकास्ट की मुख्य विशेषताएं
– रीयल टाइम और स्थान-आधारित अलर्ट
– मोबाइल नंबरों की आवश्यकता नहीं है… एसएमएस के विपरीत कुछ सेकंड में दस लाख लोगाें तक पहुंच सकता है।
– सब्सक्राइबर की निजता संबंधी कोई समस्या नहीं है, क्योंकि सेल ब्रॉडकास्ट को प्रसार के लिए मोबाइल नंबरों की आवश्यकता नहीं है।
– नेटवर्क जाम होने पर भी काम करता है (सांप्रदायिक दंगों के भड़कने आदि के दौरान प्रभावी)
– डेटा की आवश्यकता नहीं है, एक साथ कई भाषाओं में काम करता है।
– सभी आपातकालीन मानकों का पालन करता है।
– अलर्ट बंद स्क्रीन पर भी दिखाई देते हैं और उन्हें अग्रेषित नहीं किया जा सकता है।
– केवल सरकार एसएमएस के विपरीत सेल ब्रॉडकास्ट अलर्ट भेज सकती है।