देहरादून। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सियासी दलों के साथ ही टिकट के दावेदारों की दौड़ शुरू हो गई है। दावेदारी के मामले में कांग्रेस की तुलना में भाजपा में बेशक उतनी स्वच्छंदता नहीं दिख रही, लेकिन निशंक के किले में उनके खुद के अनायास सियासी दौरों और कार्यक्रमों को लेकर एक मायना दावेदारी का भी निकाला जा रहा है।
अमर उजाला ने लोकसभा सीटों पर दिग्गजों की सक्रियता और संभावित दावेदारी को लेकर पड़ताल की। पेश है हरिद्वार लोकसभा सीट पर सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के भीतर टिकट की जोड़तोड़ को लेकर एक रिपोर्ट। सांसद होने के नाते डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार लोकसभा सीट पर टिकट के स्वाभाविक दावेदार माने जा रहे हैं। पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों का मानना है कि हरिद्वार में पार्टी फिर से निशंक पर ही दांव लगाएगी। निशंक की सक्रियता से भी इस संभावना को समझा जा सकता है।
पिछले कुछ महीनों में उन्होंने चुनाव क्षेत्र के कई नेताओं और जनप्रतिनिधियों को पार्टी में शामिल कराकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। लेकिन पार्टी के भीतर एक वर्ग ऐसा है, जो प्रयोगधर्मी केंद्रीय नेतृत्व के स्तर से कुछ भी नया होने की संभावना से इंकार नहीं कर रहा। ऐसे में सवाल यह है कि निशंक से इतर किन चेहरों की संभावना है?
हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के तीन प्रमुख नेताओं के सियासी दौरे इन दिनों चर्चा में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम नया जुड़ा है। रावत पिछले दिनों हरिद्वार लोस क्षेत्र के दौरे पर थे। उस दौरे के बाद सियासी हलकों में उनके हरिद्वार सीट से चुनाव लड़ने की संभावना की अटकलों ने जोर पकड़ा है। हालांकि, राजनीतिक जानकार त्रिवेंद्र के पौड़ी गढ़वाल लोस सीट पर चुनाव लड़ने की ज्यादा संभावनाएं जताते हैं।
दूसरा नाम पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का है, जिनके नाम की चर्चा 2019 लोस चुनाव में भी रही है। तीसरा नंबर लोस क्षेत्र में सक्रिय रहे नरेश बंसल की है, जो खुद राज्यसभा सांसद हैं। लेकिन पार्टी दावेदार के कद और पद के हिसाब से ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों के आधार पर ही उम्मीदवार का चयन करती है।