देहरादून। वन विकास निगम ने टौंस वन प्रभाग क्षेत्र की जिस रेंज से काटे गए पेड़ों की निकासी की अनुमति मांगी। जांच में पाया गया कि उस क्षेत्र में आवंटित पेड़ों का कटान नहीं हुआ। जबकि बिना अनुमति के छपान सूची हटकर 396 पेड काट दिए गए। मामले में वन विकास निगम टौंस पुरोला के कर्मचारियों की मिलीभगत की बात सामने आ रही है।
जिनके खिलाफ उच्च स्तर से मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति मांगी गई है। वन विकास निगम टौंस पुरोला की ओर से वन विभाग के अधिकारियों को बताया गया कि टौंस लौगिंग प्रभाग पुरोला को आवंटित कुछ लाटों के कटान-चिरान का काम पूरा कर लिया गया है।
इन लाटों से उत्पादित लकड़ी काफी समय से जंगल एवं सड़क पर ढुलान के लिए पड़ी है। वन विकास निगम टौंस पुरोला को आवंटित 74 लाटों से उत्पादित लकड़ी की निकासी की अनुमति दी जाए। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक क्षेत्र में पूर्व में अवैध कटान का मामला सामने आने के बाद प्रमुख वन संरक्षक ने टौंस वन प्रभाग के तहत 74 लाटों के उत्तराखंड वन विकास निगम टौंस पुरोला एवं टौंस वन प्रभाग के फील्ड स्तरीय अधिकारियों व कर्मचारियों को संयुक्त निरीक्षण के निर्देश दिए थे।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कोटीगाड रेंज के तहत आंद्रीगाड बीट में आवंटित वृक्षों का कटान नहीं हुआ। आवंटित वृक्षों का कटान किए बिना ही इस क्षेत्र से 141 एवं 299 घन मीटर लकड़ी की निकासी की अनुमति मांगी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टौंस पुरोला को आवंटित अन्य लाट क्षेत्रों में छपान सूची से इतर पेड़ों का बड़े स्तर पर कटान हुआ है।
कटान चिरान किए बिना निकासी की अनुमति मांगना संदेहास्पद है। वन विभाग की ओर से इस मामले में वन संरक्षक यमुना वृत्त को पत्र लिखकर संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुमति मांगी है। पत्र में कहा गया है कि आद्रीगाड कक्ष में अवैध रूप से 396 पेड़ कटे हैं। जिनकी कीमत 62 लाख रुपये से अधिक है।