देहरादून। कांग्रेस में हरिद्वार और नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का इंतजार चौंकाने वाले नामों के साथ खत्म हो गया। शनिवार देर रात कांग्रेस ने भाजपा के मंझे हुए वरिष्ठ प्रत्याशियों के मुकाबले युवा चेहरों के नाम घोषित कर दिए। हरिद्वार में हरीश रावत के बेटे विरेंद्र रावत तो नैनीताल सीट पर प्रकाश जोशी को प्रत्याशी घोषित किया गया है।
भाजपा पांचों लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद नामांकन व प्रचार-प्रसार में जुटी है लेकिन कांग्रेस में अल्मोड़ा, टिहरी व गढ़वाल के प्रत्याशी घोषित होने के बाद हरिद्वार और नैनीताल सीट पर लगातार इंतजार और कयासबाजी का दौर जारी था। शनिवार देर रात पार्टी आलाकमान ने जैसे ही प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया, तो सब चौंक गए। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुकाबले में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे विरेंद्र रावत को प्रत्याशी घोषित किया है। विरेंद्र के राजनैतिक कॅरियर का यह पहला चुनाव है।
उधर, नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट के मुकाबले में कांग्रेस ने युवा प्रकाश जोशी को मैदान में उतारा है। प्रकाश इससे पहले वर्ष 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव कालाढूंगी से हार चुके हैं। संगठन में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। कांग्रेस में हरिद्वार लोकसभा सीट पर पूर्व सीएम व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत का नाम चर्चाओं में था जबकि नैनीताल सीट पर पूर्व सांसद महेंद्रपाल सिंह का नाम चर्चाओं में था। लेकिन कांग्रेस के इस कदम से सभी चौंक गए हैं। माना जा रहा है कि सर्वाधिक 20 लाख से ऊपर मतदाताओं वाली इन सीटों पर अब मुकाबला भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस के युवा चेहरों के बीच होने जा रहा है।
हरीश रावत का लंबा अनुभव राजनीति में रहा है। उन्होंने पहले 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण सीट से बेटी अनुपमा रावत को टिकट दिलाया था, जो कि विधायक है। अब लोकसभा चुनाव में खुद मैदान में उतरने के बजाए बेटे विरेंद्र को टिकट दिला दिया है। राजनीतिक गलियारों में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि हरीश रावत ने अब अप्रत्यक्ष रूप से अपनी राजनैतिक पारी समाप्ति की घोषणा कर दी है क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव 2027 में होंगे जबकि लोकसभा चुनाव अब 2029 में होंगे और हरीश रावत 75 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं।
यहां ये बात भी अहम है कि अंदरखाने दूसरे गुट के भारी विरोध के बावजूद हरीश रावत अपने बेटे विरेंद्र को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। इससे पहले उनकी पत्नी रेणुका रावत हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव हार चुकी हैं। पार्टी के कई पदाधिकारी अभी भी इस बात पर अमादा हैं कि विरेंद्र के बजाए हरीश रावत को खुद मैदान में उतरना चाहिए।