देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकास हमारी प्राथमिकता है। सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) इस दिशा में काफी अहम साबित होगा। उन्होंने कहा कि इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच समन्वय के साथ भविष्य की चुनौतियों को समझते हुए हम विकास की यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। राज्य स्थापना दिवस से पहले प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी जाएगी।
सीएम धामी ने कहा कि जल, जमीन, जंगल और हवा को समाहित कर जीईपी सूचकांक बनाया गया है। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के शहरों की धारण क्षमता का आंकलन किया जा रहा है। धारण क्षमता के हिसाब से उनका सुनियोजित विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों के लिए प्रत्येक वर्ष मानसून का समय चुनौतीपूर्ण रहता है। ऐसे में हमें सभी पहलुओं को समझकर ही आगे बढ़ना है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नीति आयोग की ओर से जारी सतत विकास लक्ष्यों में उत्तराखंड को देश में प्रथम स्थान मिला है। इसे बनाए रखना हमारे लिए चुनौती है। जिन इंडिकेटर पर राज्य को और सुधार की आवश्यकता है, उनको भी बेहतर बनाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट ‘डेस्टिनेशन उत्तराखंड’ के तहत तीन लाख 54 हजार करोड़ के एमओयू हुए हैं। इसमें से 77 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग शुरू हो चुकी है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री अजय टम्टा ने कहा, ‘आज कुमाऊं के आदि कैलास तक रोड पहुंच गई है। ऑलवेदर रोड केवल चारधाम के लिए नहीं, बल्कि पांचवें धाम के लिए भी है, जो टनकपुर-पिथौरागढ़-धारचूला होते हुए लिपुलेख तक जाती है। आदि कैलास तक सड़क का निर्माण होने से पांचवें धाम तक पहुंच और सुलभ हो गई है। उन्होंने कहा, ‘कहा, मुझसे वर्ष 2017 में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि आपके यहां ऑलवेदर रोड बन रही है जो चारधाम के लिए मिलती है। उस समय मैंने गडकरी से कहा था, एक धाम छूट रहा है, वह पांचवां धाम आदि कैलास है।’
टम्टा ने कहा, इंसान के विकास के लिए सड़क जरूरी है। सड़क पहुंचती है, तो वहां पर शिक्षक, डॉक्टर और अन्य लोग पहुंचते हैं। प्रदेश में अच्छी सड़कों की जरूरत है। लगभग हर ग्राम पंचायत को सड़क से जोड़ा गया है। अब गांवों तक रोड जाए, इसके लिए बजट की व्यवस्था की गई है। सीमा क्षेत्र में सड़क का काम हो रहा है। अंतिम गांव माणा, कुटी और उसके आगे जौलिकांग तक सड़क पहुंच दी गई है।
टम्टा ने कहा, ‘उत्तराखंड में अधिकांश लोगों के पास बहुत अधिक भूमि नहीं है। कहा, वर्ष 2007 में प्रदेश की तत्कालीन भुवनचंद खंडूड़ी सरकार में मंत्री होने के नाते बाहरी लोगों के जमीन खरीदने को लेकर चिंता जताई गई थी। उस समय बाहरी लोगों के लिए 250 वर्ग मीटर जमीन ही खरीदने का नियम बनाया गया। हिमाचल में आसानी से भूमि नहीं खरीद सकते, कृषि भूमि तो कतई नहीं खरीद सकते। उन्होंने हिमाचल के किन्नौर का हवाला देते हुए कहा, कोई बाहरी अगर वहां की युवती से शादी भी कर लेता है तो भी जमीन नहीं खरीद सकता है। हमें भी ऐसा ही सख्त कानून लाना होगा, वरना प्रदेश का बहुत नुकसान होगा।’