
राजाजी टाइगर। राजाजी टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर में वन्यजीवों की गतिविधियों को लेकर अध्ययन शुरू किया गया है। इस अध्ययन में वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) सहयोग कर रहा है। इसका उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना और वन्यजीवों की सुरक्षा को बेहतर बनाना है।
वन विभाग अब गश्त के तरीकों में बदलाव कर रहा है। वन्यजीवों की मूवमेंट के अनुसार वन कर्मियों की गश्त का समय और स्थान तय किया जाएगा। इसके लिए कैमरा ट्रैप के माध्यम से डेटा इकट्ठा किया जा रहा है।
राजाजी रिजर्व के तीन मुख्य कॉरिडोर—तीनपानी, आशा रोड़ी-मोहान, और चीला-मोतीचूर—में यह अध्ययन किया जा रहा है। निदेशक कोको रोसो के अनुसार, यह जानकारी मिलने के बाद गश्त की रणनीति तैयार की जाएगी, जिससे वन्यजीवों और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं कम होंगी।
इस अध्ययन से भविष्य की विकास योजनाओं में भी मदद मिलेगी। यदि किसी क्षेत्र में अंडरपास या अन्य संरचनाएं बनानी हों, तो वन्यजीवों की आवाजाही का डेटा उपयोगी साबित होगा। यह अध्ययन करीब एक महीने पहले शुरू किया गया है।
राज्य गठन के बाद 2024 तक वन्यजीव हमलों में 1221 लोगों की जान जा चुकी है, जिससे यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
कार्बेट टाइगर रिजर्व में एआई कैमरों का उपयोग
इधर, कार्बेट टाइगर रिजर्व में एआई आधारित कैमरों का प्रयोग हो रहा है। ये कैमरे वन्यजीवों की आबादी क्षेत्रों की ओर बढ़ने की सूचना तत्काल देते हैं। निदेशक साकेत बडोला के अनुसार, इससे हाथियों जैसे बड़े जानवरों से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिल रही है। भविष्य में इनकी संख्या बढ़ाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।