
रुद्रप्रयाग । केदारनाथ धाम में भगवान भोलेनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पंचांग पूजन के बाद तय कार्यक्रम के अनुसार, 23 अक्तूबर (भैया दूज) के दिन सुबह 8:30 बजे मंदिर के कपाट विधिवत रूप से बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए रवाना होगी।
रविवार को भकुंट भैरव की आज्ञा लेने के बाद मंदिर के गर्भगृह से स्वयंभू लिंग के ऊपर स्थापित स्वर्ण छत्र और कलश को विधिवत उतारा गया। इससे पूर्व केदारसभा की ओर से बाबा केदार की विशेष पूजा अर्चना की गई।
सोमवार से भगवान केदार की बिना शृंगार की आरती शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया पंचपंडा रुद्रपुर के हक-हकूकधारियों द्वारा पूरी कराई गई। इस दौरान केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, महामंत्री अंकित सेमवाल, अनीत शुक्ला, पंकज शुक्ला, नवीन शुक्ला, दीपक, हिमांशु और विनोद समेत कई श्रद्धालु मौजूद रहे।
कपाट बंद होने से पहले धाम को भव्य रूप से सजाया गया है। मंदिर को लगभग तीन क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है, जिससे पूरा परिसर सुगंधित और मनमोहक हो उठा है।
दीपावली और दीपोत्सव का उल्लास
बदरी-केदार धामों में सोमवार को दीपावली का पर्व उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। दोनों मंदिरों को गेंदे, गुलाब और अन्य फूलों से सजाया गया है। बदरीनाथ धाम में बीकेटीसी (बदरी-केदार मंदिर समिति) के सहयोग से तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों द्वारा दीपोत्सव का आयोजन किया गया।
डिमरी केंद्रीय पंचायत, मेहता, भंडारी और कमदी हकहकूकधारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित किए। मुंबई, गुजरात और सिलीगुड़ी से आए श्रद्धालुओं ने बताया कि फूलों से सजे धाम की भव्यता अवर्णनीय है।
बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि दीपावली के अवसर पर न केवल मंदिर परिसर बल्कि मार्गों को भी दीपों से सुसज्जित किया गया है, जिससे संपूर्ण धाम अद्भुत आध्यात्मिक आभा से आलोकित हो उठा है।