देहरादून। दिल्ली धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के कदमों के निशानों का पीछा करते हुए उत्तराखंड तक पहुंच चुकी हैं। दरअसल, राज्य का सीधा संबंध भले ही किसी बड़े आतंकी हमले से न रहा हो, लेकिन बीते तीन दशकों में कई बार यहां आतंकियों या उनके नेटवर्क के निशान मिलते रहे हैं। 1980 के दशक में जब खालिस्तान आंदोलन अपने चरम पर था, तब ऊधमसिंह नगर जिला उसकी चपेट में आ गया था। पंजाब पुलिस ने भी उस दौर में स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कई ऑपरेशन चलाए थे और कई मुठभेड़ें भी हुई थीं। 1990 के दशक में खालिस्तानी नेटवर्क के ध्वस्त होने के बाद भी कुछ आतंकी उत्तराखंड को अपनी पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करते रहे। देहरादून, हरिद्वार, रुड़की और कुमाऊं क्षेत्र में कई बार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), एटीएस और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल जैसी केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय रही हैं। वर्ष 2015 में देहरादून पुलिस ने खालिस्तानी नेटवर्क के मास्टरमाइंड परमिंदर उर्फ पेंदा और उसके साथी को गिरफ्तार किया था, जो नाभा जेल ब्रेक के आरोपी थे। इसके बाद वर्ष 2016 में हरिद्वार से आईएसआईएस के चार संदिग्ध आतंकियों को एनआईए और दिल्ली पुलिस की टीम ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से पकड़ा था, जो अर्द्धकुंभ में बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। इसके अलावा फरवरी 2018 में लश्कर-ए-तैयबा नेटवर्क से जुड़े अब्दुल समद नामक आतंकी को हवाला के जरिए धन जुटाने के आरोप में पकड़ा गया। अप्रैल 2018 में यूपी एटीएस ने डीडीहाट से रमेश सिंह कन्याल को आईएसआई को सूचना देने के आरोप में गिरफ्तार किया। सितंबर 2018 में ऊधमसिंह नगर पुलिस ने खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जो सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार कर रहे थे। उसी माह धारचूला से एक संदिग्ध पकड़ा गया जो तत्कालीन रक्षामंत्री की हत्या की साजिश में शामिल बताया गया। जून 2019 में ऊधमसिंह नगर से बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए हथियार जुटाने वाले हरचरण सिंह की गिरफ्तारी हुई, जबकि जुलाई 2019 में नैनीताल पुलिस ने खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े हल्द्वानी के 52 लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच शुरू की। फरवरी 2020 में यूपी एटीएस ने रुड़की से खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स के सदस्य आशीष सिंह को पकड़ा और नवंबर 2022 में उत्तराखंड एसटीएफ के सहयोग से गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल से जुड़े एक संदिग्ध को ज्वालापुर से गिरफ्तार किया गया। अब उत्तराखंड पुलिस और खुफिया एजेंसियां यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि राज्य किसी भी देश विरोधी तत्व की शरणस्थली न बन सके। लगातार साझा इनपुट्स और सतर्कता के जरिए यह प्रयास जारी है कि शांति और सुरक्षा की इस भूमि पर किसी भी आतंकी गतिविधि की जड़ न जम पाए।

