अल्मोड़ा / पर्वतीय अंचल में इन दिनों प्याज की पौध काश्तकारों की आजीविका का जरिया बनी है। जिला मुख्यालय के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के काश्तकार अपनी नर्सरी में उगाए गए इन नन्हे पौधों को विक्रय के लिए ला रहे हैं। इन पौधों के साथ ही शाक-भाजी के अन्य बीजों को बेचकर अपनी आजीविका चला रहे हैं।
जिले के विभिन्न विकास खंडों हवालबाग, ताकुला, द्वाराहाट, चौखुटिया, भिकियासैंण, स्याल्दे, सल्ट, ताड़ीखेत, लमगड़ा, धौलादेवी, भैसियाछाना में प्याज का उत्पादन होता है। इसी के मद्देनजर जिला मुख्यालय के समीपवर्ती गांवों बल्टा, बिन्तोला, लमगड़ा, उज्यौला के काश्तकार अपनी नर्सरी में तैयार इन पौधों को विक्रय के लिए ला रहे हैं।
सालों से अपनी नर्सरी में तैयार प्याज के पौधों की बिक्री कर रहे वह प्रतिदिन करीब 100 गड्डी प्याज के पौध की बिक्री कर लेते हैं। इससे वह प्रतिदिन 1000 रुपये कमा लेते हैं। साथ ही सीजन के दौरान इसी से अपनी व परिवार की आजीविका चलाते हैं। उद्यान विभाग की नर्सरियों में भी प्याज की पौध तैयार है। लोगों को 60 रुपये में प्रति हजार पौध उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही सब्जी उत्पादकों को समय-समय पर बेहतर तकनीक से उत्पादन बढ़ाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।