देहरादून / बसपा विधानसभा चुनाव करीबआते ही तैयारियों में जुट गई है। इस कड़ी में बसपा अपने परंपरागत वोट बैंक को फिर से वापस पाने की जुगत में है। अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति बसपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। बीते चुनाव में मोदी लहर के दौरान अनुसूचित जाति का बड़ा हिस्सा व कुछ अल्पसंख्यक वोट बैंक बसपा से छिटक गया था। अब बसपा फिर से इन्हें समेटने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में दल में कई पुराने नेताओं की वापसी कराई जा रही है।
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद यहां बसपा का मजबूत जनाधार रहा है। राज्य गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा, कांग्रेस व भाजपा के बाद सात सीटें जीत कर प्रदेश में तीसरी ताकत के रूप में उभर का सामने आई। यह बात अलग है कि शुरुआती विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली बसपा का प्रदर्शन लगातार गिर रहा है। वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 10.93 मत प्रतिशत लेकर सात सीटों पर कब्जा जमाया था। 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में बसपा ने 11.76 फीसद मत प्रतिशत के साथ आठ सीटें कब्जाई।