हिमस्खलन की चपेट में आए थे दो प्रशिक्षक व 27 प्रशिक्षु पर्वतारोही
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी का 42 सदस्यीय एडवांस कोर्स के प्रशिक्षु व प्रशिक्षकों का दल चार अक्टूबर की सुबह समिट कैंप से द्रौपदी का डांडा के आरोहण के लिए गया था। इस दल में शामिल दो प्रशिक्षक व 27 प्रशिक्षु पर्वतारोही हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे।
उत्तरकाशी। द्रौपदी का डांडा(डीकेडी) में प्रशिक्षण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आने से लापता नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के दो प्रशिक्षु पर्वतारोहियों का अभी पता नहीं चल पाया है। इनमें एक लेफ्टि. कर्नल और दूसरा नौसेना का नाविक है। इनकी तलाश में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग, निम और सेना की टीम अभियान जारी रखे हुए है।
शुक्रवार को बंगाल के 24 परगना नार्थ, कंचनपुर के डिफेंस कालोनी निवासी प्रशिक्षु सौरभ बिस्वास का शव द्रौपदी का डांडा बेस कैंप से उत्तरकाशी लाया गया। हिमस्खलन की घटना में लापता हुए कुल 29 में से 27 पर्वतारोहियों के शव बरामद हुए हैं। सभी के शव शिनाख्त कर स्वजन को सौंपे दिए गए हैं।
दो प्रशिक्षु अभी भी लापता हैं। जिस स्थान पर प्रशिक्षु दबे हुए हैं, उस स्थान को रेस्क्यू टीम ने चिह्नित किया हुआ है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के रजिस्ट्रार विशाल रंजन ने बताया कि लापता चल रहे दो प्रशिक्षुओं की तलाश के लिए खोज बचाव अभियान चल रहा है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा की घटना के हर बिंदु की पड़ताल की जाएगी। ताकि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो। अभी तक देश के चारों पर्वतारोहण संस्थान में केवल निम ही एडवांस कोर्स के तहत प्रशिक्षुओं से डीकेडी चोटी का आरोहण कराता था।
इस घटना के बाद भविष्य में कोई भी प्रधानाचार्य एडवांस कोर्स के प्रशिक्षु पर्वतारोहियों से आरोहण कराने के बारे में पहले कई बार सोचेगा। कर्नल बिष्ट ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से प्राकृतिक है। घटना के दो दिन पहले जो भूकंप आया था, उसकी तीव्रता काफी कम थी और केंद्र भी काफी दूर था। इसलिए भूकंप का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है। कहा कि इस तरह के साहसिक प्रशिक्षण के दौरान दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इसलिए हर प्रशिक्षु एक शपथ लिखकर देता है कि उसके साथ कोई प्राकृतिक दुर्घटना होने पर वह स्वयं जिम्मेदार होगा।