मोटा अनाज, ऐसा खाद्य पदार्थ है जो पारंपरिक रूप से भारतीयों की थाली का हिस्सा रहा है। बदलते समय के साथ मोटा अनाज हाशिये पर चला गया। मोटे अनाज के उपयोग से जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। वहीं मोटे अनाज को फिर से वही रुतबा दिलाने के लिए खास पहल की शुरुआत भारत सरकार ने की है। सरकार ने अब मोटे अनाज की अहमियत को बढ़ावा देने के लिए पहल की है। इसी कड़ी में भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है।
भारत सरकार का उद्देश्य है कि मोटा अनाज के सुपर फूड है, ऐसे में इसके लाभ के संबंध में हर जानकारी साझा की जानी चाहिए। इसके तहत अब लोगों को मोटे अनाज के महत्व से अवगत कराया जाएगा। इसके स्वास्थ्य लाभ को बताने के लिए केंद्र सरकार ने खास पहल शुरू की है। सरकार की इस पहल से ना सिर्फ मोटे अनाज के प्रति लोगों की जागरुकता मजबूत होगी बल्कि किसान भी इनकी खेती में रुचि दिखाएंगे।
ये होता है मोटा अनाज
मोटा अनाज यानी मिलेट्स। इसे सूपरफूड भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पोषक तत्वा काफी अधिक मात्रा में होते है। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू फसलें आती। रागी में कैल्शियम की मात्रा काफी अच्छी होती है। जानकारी के मुताबिक 100 ग्राम रागी में 364 मिलिग्राम कैल्शियम होता है। गेंहू और चावल की अपेक्षा रागी में आयरन भी अधिक मात्रा में पाया जाता है।
जी20 का हिस्सा बनेगा मोटा अनाज
केंद्र सरकार जी20 के आयोजन के जरिए भी पूरी दुनिया में मोटे अनाज को पहुंचाने में जुटी है। ये भारत सरकार के लिए सुनहरा अवसर है जब मोटे अनाज के प्रति सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों को मोटे अनाज के प्रति जागरूक कर सकेगी। पीएम मोदी कह चुके हैं कि जी20 सम्मेलन के दौरान भी मोटे अनाज से बने व्यंजनों को परोसा जाएगा।
गौरतलब है कि भारत मोटे अनाज का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक देश है। मगर निर्यात के मामले में भारत का स्थान पांचवा है। जी20 के आयोजन के जरिए भारत सरकार दुनिया में मोटे अनाज के कारोबार को बढ़ावा देने पर भी जोर देगी। बता दें कि मोटा अनाज ऐसा पोषण होता है जो स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह से लाभप्रद होता है। जानकारी के मुताबिक मोटा अनाज कठिन परिस्थितियों में उगाया जा सकता है।
मोटे अनाज को उगाना आसान
जानकारी के मुताबिक मोटे अनाज को उगाना काफी आसान है। इसे अधिक गर्मी या कम पानी की स्थिति में उगाया जा सकता है। इसकी खेती करने के लिए तापमान और पानी का असर नहीं होता है। मोटा अनाज बंजर जमीन पर भी उगाया जा सकता है। इसमें रेशा, प्रोटीन, विटामिन, जिंक, आयरन, कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व होते है। मोटा अनाज कई गंभीर बीमारियों जैसे मधुमेह, हृदय संबंधी बीमारियों, गठिया, एनीमिया व कैंसर के मरीजों के लिए लाभदायक साबित होता है।
कुपोषण के खिलाफ हथियार है मोटा अनाज
बता दें कि मोटा अनाज बाकी अनाजों की अपेक्षा काफी सस्ता होता है। इसमें फाइबर भी काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। अगर कोई गरीब व्यक्ति मोटे अनाज का सेवन करता है तो कुपोषण से बचाव का कारगर तरीका है। वहीं समृद्ध व्यक्ति मोटा अनाज खाता है तो ये कई पोषक तत्वों का खजाना होता है।
मोटे अनाज को उगाने में किसानों को भी काफी फायदा होता है। जानकारी के मुताबिक धान उगाने में काफी अधिक मेहनत लगती है। बाजरा और ज्वार जैसी फसलें उगाने में काफी कम मेहनत होती है। मोटे अनाज की खासियत है कि अगर ये फसल खराब हो जाए तो फसलों के अवशेष पशुओं के चारे के तौर पर काम आते है। इन्हें पराली की तरह जलाने की जरुरत नहीं होती है। इन फसलों में कीटनाशकों का उपयोग भी काफी कम होता है।