कोरोना वायरस रोधी टीके की बूस्टर खुराक लेने वाले 70 फीसदी लोग इस महामारी की तीसरी लहर के दौरान संक्रमण की चपेट में नहीं आए। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है जो भारत में लगभग 6000 लोगों पर किया गया है। कोरोना वायरस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राष्ट्रीय टास्क फोर्स के को-चेयरमैन डॉ. राजीव जयदेवन के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि तीसरी लहर में ऐसे 45 फीसदी लोग संक्रमित हुए जिन्होंने टीके की दो खुराकें तो ली थीं लेकिन बूस्टर खुराक नहीं ली थी।
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार यह अध्ययन टीकाकरण करवा चुके 5971 लोगों पर किया गया है। इनमें से 24 फीसदी लोगों की उम्र 40 वर्ष से कम थी और 50 फीसदी लोग 40 से 59 वर्ष आयु वर्ग के थे। सर्वे में शामिल होने वाले कुल लोगों में 45 फीसदी महिलाएं रहीं और 53 फीसदी स्वास्थ्य कर्मी थे। रिपोर्ट के अनुसार इन 5971 लोगों में से 2383 लोगों ने कोरोना रोधी टीके की बूस्टर खुराक ली थी। इनमें से 30 फीसदी लोग कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर के दौरान संक्रमण की चपेट में आए थे।
शोधार्थियों ने यह निष्कर्ष भी निकाला है कि टीके की दूसरी खुराक और बूस्टर खुराक के बीच लंबा अंतर तीसरी लहर के दौरान संक्रमित होने की अधिक आशंका से जुड़ा हुआ है। इसमें यह भी कहा गया है कि छह महीने के अंतर के बाद टीके की तीसरी खुराक देने से संक्रमण की दर पर कोई असर नहीं पड़ा। अध्ययन में यह भी दिखाया गया है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर ने 40 साल से कम आयु के लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया था। इस आयु वर्ग के करीब 45 फीसदी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।
रिपोर्ट के अनुसार तीसरी लहर के दौरान 40 से 59 वर्ष आयु वर्ग के 39.6 फीसदी लोग और 60 से 79 वर्ष आयु वर्ग के 31.8 फीसदी लोग तीसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए। वहीं, 80 वर्ष और इससे अधिक आयु के केवल 21.2 फीसदी लोग की कोविड की चपेट में आए। तीसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए 2311 लोगों में से 4.8 फीसदी एसिम्टोमैटिक थे जबकि, 53 फीसदी लोगों में हल्के लक्षण देखने को मिले थे। इसकी मध्यम गंभीरता 41.5 फीसदी मरीजों में देखी गई। वहीं, 0.69 फीसदी मरीज गंभीर रूप से बीमार पड़े थे।