
देहरादून। उत्तराखंड की आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मानी जाने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा के आगामी संस्करण (2026) को भव्य और सुव्यवस्थित बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक कर यात्रा की व्यवस्था और प्रबंधन को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।
🔔 मुख्य बिंदु:
- नंदा राजजात यात्रा 2026 को ऐतिहासिक और भव्य रूप देने का संकल्प
- यात्रा मार्ग की सुरक्षा, सुविधा, और सांस्कृतिक गरिमा पर विशेष ध्यान
- जल्द कार्य योजना बनाकर मौसम से पहले तैयारियों के निर्देश
- स्थानीय प्रशासन, संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता
🛤️ क्या है नंदा राजजात यात्रा?
- यह हिमालयी देवी नंदा को उनके मायके से ससुराल (हिमालय) भेजने की प्राचीन धार्मिक परंपरा है
- लगभग 280 किमी लंबी पैदल यात्रा जो चमोली जिले के नौताड़ गांव से शुरू होकर होमकुंड तक जाती है
- इसे ‘हिमालय की कुंभ यात्रा’ भी कहा जाता है
- यात्रा 12 साल में एक बार आयोजित होती है — पिछली यात्रा 2014 में हुई थी, अब अगली 2026 में प्रस्तावित है
🧭 सीएम धामी के निर्देश:
- यात्रा मार्ग का भौतिक सत्यापन कर जल्द मरम्मत कार्य शुरू करें
- यात्रियों के लिए स्वास्थ्य सुविधा, मोबाइल नेटवर्क, पेयजल, विश्राम स्थल आदि की व्यवस्था सुनिश्चित हो
- स्थानीय संस्कृति और लोक कलाओं को बढ़ावा देने के लिए आयोजन स्थलों पर कार्यक्रम हों
- यात्रा में शामिल होने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए
- प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल और पारंपरिक माध्यमों का उपयोग
📢 संभावित लाभ:
- राज्य में धार्मिक पर्यटन को मिलेगा प्रोत्साहन
- स्थानीय हस्तशिल्प, लोक कलाकारों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
- विश्वस्तर पर उत्तराखंड की सांस्कृतिक छवि होगी सशक्त
📣 निष्कर्ष:
नंदा राजजात यात्रा 2026 उत्तराखंड के लिए आस्था और अवसर दोनों का संगम बनने जा रही है। मुख्यमंत्री धामी की पहल से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार इसे सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, पर्यटन और आर्थिक समृद्धि का माध्यम बनाना चाहती है।
“नंदा की पालकी जब चलती है, पूरा हिमालय श्रद्धा से नतमस्तक हो उठता है।”