
देहरादून। देहरादून में आयोजित बैठक में एनडीएमए के विभागाध्यक्ष और सदस्य राजेंद्र सिंह ने राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ गहन चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि आपदा के बाद केवल तात्कालिक राहत ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और जोखिम न्यूनीकरण को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
राजेंद्र सिंह ने कहा कि:
- पीडीएनए टीम उत्तराखंड आएगी और क्षति, प्रभावित आबादी, आजीविका, बुनियादी ढांचे और पर्यावरणीय असर का विस्तृत मूल्यांकन करेगी।
- इस आकलन के आधार पर केंद्र से अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- यह प्रक्रिया पारदर्शिता और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होगी, ताकि भविष्य की नीतियों को और मजबूत बनाया जा सके।
नदी किनारे कस्बों की मैपिंग और रिस्क असेसमेंट
बैठक में राजेंद्र सिंह ने विशेष रूप से निर्देश दिए कि नदी किनारे बसे कस्बों और गांवों की मैपिंग कर रिस्क असेसमेंट किया जाए। इससे संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान होगी और समय रहते प्री-डिजास्टर तैयारी की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन केवल तात्कालिक प्रतिक्रिया का मामला नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक योजना और रणनीति का हिस्सा होना चाहिए।
आपदाओं से न हो पलायन
उन्होंने चिंता जताई कि उत्तराखंड में बार-बार की आपदाओं से लोग पलायन को मजबूर न हों। उन्होंने कहा:
- यह केवल आजीविका और रोजगार का ही नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अहम सवाल है।
- राज्य की सीमावर्ती भौगोलिक स्थिति और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था के लिए आबादी का बने रहना बेहद आवश्यक है।
- यदि लोग पलायन करेंगे तो इसका असर स्थानीय संस्कृति, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
शोध संस्थानों के अनुभव का उपयोग
राजेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि उत्तराखंड में कई बड़े वैज्ञानिक और शोध संस्थान हैं। इनकी विशेषज्ञता, तकनीकी संसाधन और डेटा का उपयोग कर राज्य की आपदा प्रबंधन प्रणाली को और मजबूत बनाया जा सकता है। उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग को इन संस्थानों से समन्वय बढ़ाने के निर्देश दिए।
दस्तावेजीकरण पर जोर
एनडीएमए सदस्य ने सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन को निर्देश दिए कि अब तक हुई आपदाओं और राहत कार्यों के दौरान सामने आई चुनौतियों का व्यवस्थित दस्तावेजीकरण किया जाए।
- इससे न केवल भविष्य की नीतियों और प्रशिक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल का काम करेगा।
- अनुभवों का लेखा-जोखा प्रशासनिक दक्षता और संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाएगा।
बैठक में मौजूद अधिकारी
बैठक में अपर सचिव आपदा प्रबंधन आनंद स्वरूप सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने राज्य में आपदा प्रबंधन की मौजूदा चुनौतियों और उनके समाधान पर विचार साझा किए।
उत्तराखंड बार-बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है। ऐसे में एनडीएमए और राज्य प्राधिकरण की यह बैठक न केवल वर्तमान स्थिति के समाधान की ओर इशारा करती है, बल्कि भविष्य के लिए सुरक्षित और व्यवस्थित आपदा प्रबंधन ढांचे की ओर भी एक अहम कदम है। पीडीएनए रिपोर्ट राज्य की आर्थिक सहायता और पुनर्निर्माण योजनाओं की दिशा तय करेगी।