देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा लिए गए साहसिक और निर्णायक फैसलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और धर्मांतरण विरोधी कानून जैसे कदमों से उत्तराखंड ने न केवल अपने प्रशासनिक साहस का परिचय दिया है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श स्थापित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि धामी सरकार ने सामाजिक समानता और न्याय के सिद्धांतों को मजबूत करते हुए यूसीसी को गंभीरता से लागू किया, जो भारत के संवैधानिक मूल्यों को धरातल पर उतारने का सशक्त उदाहरण है। इसी तरह, धर्मांतरण विरोधी और दंगा नियंत्रण कानूनों ने यह साबित किया है कि राज्य सरकार राष्ट्रहित और सामाजिक संतुलन के लिए दृढ़ संकल्पित है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने संवेदनशील विषयों पर साहसिक निर्णय लेकर दिखाया है कि यदि नीयत साफ हो तो नीतियों के परिणाम भी जनहितकारी होते हैं। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को इस दिशा में उठाए गए निर्णायक कदमों के लिए बधाई दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने सेब और कीवी किसानों को डिजिटल करेंसी के माध्यम से अनुदान देने की जो पहल की है, वह तकनीकी पारदर्शिता और जवाबदेही का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के जरिये अब किसानों तक सीधी आर्थिक मदद पहुंच रही है, जिसकी ट्रैकिंग करना भी संभव हो गया है। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार, आरबीआई और संबंधित सभी संस्थानों की प्रशंसा की।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जब भारत अपनी आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब उत्तराखंड को यह तय करना होगा कि वह विकास की किन ऊंचाइयों को छूना चाहता है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इंतजार नहीं, बल्कि अभी से आगे बढ़ने की जरूरत है — और भारत सरकार इस यात्रा में हर कदम पर उत्तराखंड के साथ खड़ी है।

