कर्णप्रयाग।चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक की ग्राम पंचायत किमोली के बारकोट तोक में स्थिति ऐसी है कि यहां लोगों को सिर्फ सड़क ही नहीं, बल्कि रिश्तों का इंतजार भी करना पड़ रहा है। राज्य गठन के 25 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है, और यह असुविधा अब युवाओं के विवाह में बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो गई है। गांव में करीब 25 परिवार रहते हैं और यहां सात से आठ युवा अब भी अविवाहित हैं, जिनके रिश्ते बार-बार सिर्फ एक कारण—सड़क न होने—की वजह से टूट जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, सड़क न होने की वजह से गांव से मुख्य सड़क आगर तक पहुंचने के लिए चार से पांच किलोमीटर की दुर्गम पैदल चढ़ाई पार करनी पड़ती है। रिश्ते तय होने की नौबत आते ही लड़की पक्ष यह दूरी और सड़क न होने की परेशानी सुनकर तुरंत मना कर देता है। पंचम सिंह भंडारी बताते हैं कि उन्होंने अपने बेटे के लिए कई रिश्ते तलाशे, लेकिन हर बार सड़क की समस्या के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई।
गुड़गांव में नौकरी करने वाले 26 वर्षीय अनिल सिंह और दिल्ली में कार्यरत 27 वर्षीय राकेश सिंह भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। दोनों बताते हैं कि परिवार पिछले दो वर्षों से लगातार रिश्ते तलाश रहा है, लेकिन जैसे ही लड़की पक्ष को पता चलता है कि बारकोट गांव तक सड़क नहीं है, वे विवाह से इन्कार कर देते हैं। कई बार परिवार दूर-दराज जगहों तक रिश्ता देखने गया, मगर नतीजा वही—सड़क न होना एकमात्र बाधा।
पीजीएजीएसवाई के चौथे चरण में बारकोट गांव की सड़क का प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जिसकी स्वीकृति भी प्राप्त हो गई है। अब डीपीआर बनने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र सिंह कनेरी का कहना है कि सड़क का मुद्दा जिले के सर्वोच्च मंच पर भी उठाया गया है, और विभागीय स्तर पर अन्य सड़कों के साथ इस परियोजना पर भी तेजी से काम किया जा रहा है।
बारकोट के ग्रामीणों के लिए सड़क सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं का मार्ग है—जिसके बनने की प्रतीक्षा में न केवल रास्ते बंद हैं, बल्कि युवाओं के रिश्ते भी अधर में अटके हुए हैं।

