देहरादून चारधाम यात्रा 2025 इस बार तीर्थयात्रियों के अभूतपूर्व उत्साह, बढ़ी हुई संख्या और लगातार बढ़ते धार्मिक रुझान के कारण ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हुई है। 25 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही छह माह के लिए चारधाम यात्रा औपचारिक रूप से स्थगित हो गई, लेकिन यात्रा अवधि के दौरान आए श्रद्धालुओं की संख्या ने इस बार नया रिकॉर्ड कायम कर दिया। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष कुल 51 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने चारधामों में दर्शन किए, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या करीब 48 लाख थी। इससे यह साफ झलकता है कि उत्तराखंड के चारधामों के प्रति देश-विदेश के लोगों की आस्था निरंतर बढ़ रही है।
इस बार यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल 2025 को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने से हुई। इसके बाद दो मई को केदारनाथ धाम और चार मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे। छह माह तक चली इस यात्रा अवधि में जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, वहीं मौसम और आपदा ने कुछ स्थानों पर चुनौतियाँ भी पेश कीं। विशेषकर उत्तरकाशी जिले में आई आपदा के कारण यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा सीमित समय के लिए प्रभावित हुई, जिसके चलते इन दोनों धामों में श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम रही।
इसके बावजूद, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में इस बार नया रिकॉर्ड बना। बीते वर्ष जहां केदारनाथ धाम में 16.51 लाख और बदरीनाथ धाम में 14.35 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे, वहीं इस वर्ष केदारनाथ में 17.68 लाख से अधिक और बदरीनाथ में 16.53 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। यह दर्शाता है कि यात्रा व्यवस्थाओं में निरंतर सुधार, बेहतर सड़क संपर्क, हेलीसेवा में विस्तार, और सरकार द्वारा किए गए प्रबंधन प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव यात्रियों की संख्या में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
अब चारधामों की मूर्तियां और पूजा-अर्चना परंपरा के अनुसार शीतकालीन प्रवास स्थलों पर संपन्न होगी। केदारनाथ धाम की पूजा ऊखीमठ, बदरीनाथ धाम की पूजा जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर, जबकि यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की पूजा-अर्चना क्रमशः खरसाली और मुखबा गांव में की जाएगी। शीतकालीन यात्रा के रूप में भी इन स्थलों पर भक्तों का आना लगातार बढ़ रहा है और राज्य सरकार इसका व्यवस्थित प्रचार कर इसे और सुगम बनाने के प्रयास कर रही है।
चारधाम यात्रा 2025 की समाप्ति के साथ ही सरकार, पर्यटन विभाग और प्रशासन के सामने अगले वर्ष के लिए यात्रा को और सुरक्षित, सुव्यवस्थित और व्यापक बनाने की चुनौती और अवसर दोनों मौजूद हैं। श्रद्धालुओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए आगामी वर्षों में चारधाम यात्रा के और भी बड़े पैमाने पर होने की संभावना प्रबल है।
