देहरादून। राज्य में भारी बारिश का असर पेयजल योजनाओं पर भी पड़ा है। अब तक अतिवृष्टि के कारण 1223 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जल संस्थान का दावा है कि इनमें से 1135 पेयजल योजनाओं को अस्थायी तौर चालू कर दिया गया है। इसके अलावा 88 पेयजल योजनाओं को चालू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कई दिन की मूसलाधार बारिश के बाद उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बदला। देहरादून से पहाड़ तक चटक धूप निकली है। फिलहाल मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक राज्य में अगले दो से तीन दिन बारिश की कम ही संभावना है।
बढ़ते तापमान ने एक बार फिर लोगों को गर्मी का अहसास दिलाया। पारा 35 डिग्री तक पहुंच गया है। मौसम वैज्ञानिकों ने मैदान से लेकर पहाड़ तक कहीं स्थानों पर तेज गर्जना के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है, लेकिन फिलहाल राज्य में अगले दो से तीन बारिश की संभावना कम ही बताई गई। बीते तीन दिनों में ही देहरादून और टिहरी जिले में अतिवृष्टि के कारण जल संस्थान की आठ पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। इनमें से चार को अस्थायी तौर पर चालू कर दिया गया है।
जल संस्थान की ओर से योजना से जलापूर्ति के लिए शाखाओं के अन्तर्गत कार्यरत प्रशिक्षित फिटर एवं बेलदार तैनात किये गये हैं। आपदा की स्थिति में, पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए विभिन्न शाखाओं में 71 विभागीय टैंकर उपलब्ध हैं एवं 219 किराये के पेयजल टैंकर चिन्हित हैं। गोपेश्वर में बदरीनाथ हाईवे पर नंदप्रयाग के समीप पर्थाडीप भूस्खलन क्षेत्र में बार-बार हाईवे बाधित हो रहा है। यहां हिल साइड जगह-जगह भारी मात्रा में मलबा आ रहा है।
नंदप्रयाग की नगर पंचायत अध्यक्ष डा. हिमानी वैष्णव का कहना है कि पर्थाडीप क्षेत्र पूर्व से ही भूस्खलन क्षेत्र रहा है। इस क्षेत्र में वृहद ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए तभी यहां भूस्खलन से निजात मिल सकेगी। इधर, एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास) के डीजीएम आरके श्रीवास्तव का कहना है कि हाईवे पर मलबा आने के तुरंत बाद ही हटाया जा रहा है। अभी मलबे को हटाने पर ही पूरा फोकस रहेगा। मौसम सामान्य होने के बाद यहां भूस्खलन का ट्रीटमेंट किया जाएगा।