हरिद्वार। राजाजी टाइगर रिजर्व की शिवालिक पर्वतमालाओं में हाथियों का वर्षाकाल प्रवास पूरा हो गया है। हाथियों के झुंड पहाड़ से हरिद्वार के मैदानी इलाकों में उतरने लगे हैं। हाथियों के झुंड जंगलों में लगे कैमरों में ट्रैप हो रहे हैं। मैदानी इलाकों में उतरते ही हाथी धान और गन्ना की फसलों को नुकसान पहुंचाएंगे। वर्षाकाल का प्रवास पूरा होने के साथ ही हाथी पहाड़ से मैदान उतरने लगे हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के हाथियों के झुंड ने मूवमेंट बदला है। जंगलों से सटी आबादी के खेतों से उनको आसानी से भोजन मिल जाता है।
काश्तकारों के अलावा वन विभाग की गश्ती टीमों को आबादी क्षेत्र में हाथियों की रोकथाम के लिए जूझना पड़ेगा। 819 वर्ग किमी के दायरे में फैले राजाजी टाइगर रिजर्व में करीब 400 हाथी हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में पहाड़ और मैदानी दोनों शामिल हैं। आमतौर पर हाथी मैदानी इलाकों के जंगलों में रहते हैं। जंगलों से सटी आबादी के खेतों से उनको आसानी से भोजन मिल जाता है। लेकिन वर्षाकाल में मैदानी इलाकों के जंगलों में पानी का ठहराव हो जाता है।
शिवालिक पर्वतमालाओं की पहाड़ियों से हाथी उतरकर मैदानी जंगलों में आने लगे हैं। वन विभाग की ओर से हाथियों को आबादी क्षेत्र के खेतों में आने से रोकने के लिए गश्ती बढ़ा दी गई है।
– महेंद्र गिरी, रेंजर मोतीचूर रेंज, राजाजी टाइगर रिजर्व
जंगलों में नमी से मक्खी (डांस) हाथियों को सबसे अधिक परेशान करते हैं। इससे हाथी पहाड़ों की तरफ रुख कर जाते हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व में शिवालिक पर्वतमालाएं हैं, जो हरिद्वार से देहरादून तक फैली हैं। वर्षाकाल में हाथी झुंड के साथ पहाड़ी इलाकों में ही प्रवास करते हैं। बरसात में पहाड़ में पानी और भोजन भी मिल जाता है।
इस साल हरिद्वार क्षेत्र में बारिश कम हुई है। सितंबर से पहले ही हाथियों के झुंड ने पहाड़ से मैदान में उतरना शुरू कर दिया है। झुंड लगातार राजाजी रिजर्व के मैदानी इलाकों में आ रहे हैं। हाथियों के मैदानी इलाकों में उतरने ही किसानों और वन विभाग की चिंताएं बढ़ गई हैं। हाथी हर साल धान और गन्ने की करीब 10 से 13 फीसदी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
बासमती धान और गन्ने की खुशबू हाथियों को आकर्षित करती है। धान में बालियां आनी शुरू हो गई हैं। गन्ना भी छह फीट तक पहुंचने लगा है। दोनों ही हाथियों के सबसे प्रिय भोजन हैं। खेतों में पहुंचने के बाद हाथियों को भगाना काफी मुश्किल होता है। हाथी फसलों को खाने से अधिक रौंदकर बर्बाद कर देते हैं। वन विभाग ने आबादी एरिया में हाथियों की रोकथाम के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
हाथी की उम्र इंसान की तरह होती है। औसतन स्वस्थ हाथी 80 साल तक जीवित रहता है। 20 साल की उम्र तक हथिनी मां बन जाती है। उम्रदराज हथिनी ही परिवार में मुखिया होती है। झुंड में हथिनी की तीन पीढ़ियां तक साथ चलती हैं। खतरे की आशंका होने पर हथिनी ही हमला करती है। औसतन प्रतिदिन हाथियों का झुंड 40 किमी से अधिक सफर कर सकता है।