अनिल पर 25,000 का इनाम…
उस वक्त पुलिस कार चोरी की वारदातों से परेशान हो चुकी थी. लेकिन चोर का कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा था. लिहाजा, उस दौर में पुलिस ने अनिल चौहान पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा था. ये उस वक्त खासा रकम हुआ करती थी. साल 2010 आते-आते अनिल चौहान के खिलाफ पूरे देश में करीब 3000 कार चोरी के मामले दर्ज हो चुके थे. दिल्ली की कई अदालतों ने उसे अपराधी घोषित कर दिया था. यही वो वक्त था, जब अनिल ने अपना ठिकाना पूर्वोत्तर राज्यों की तरफ बना लिया था.
नई दिल्ली। भारत का सबसे बड़ा कार चोर अनिल चौहान आखिरकार एक बार फिर से कानून की गिरफ्त में आ गया. पुलिस की मानें तो शातिर अनिल चौहान ने पिछले लगभग तीन दशक में करीब 5000 से ज्यादा कार चोरी की वारदातों को अंजाम दिया है. सच कहें तो उसने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा कार चोरी के काम में ही लगाया है. आखिर कौन है अनिल चौहान? कैसे वो बन गया देश का सबसे बड़ा कार चोर? आइए जानते हैं उसकी कहानी…
बात 90 के दशक की है. उस वक्त अनिल चौहान दिल्ली के खानपुर इलाके में रहा करता था. 12वीं कक्षा में उसने पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद जीवन यापन करने के लिए वह ऑटो रिक्शा चलाने लगा. फिर कुछ सरकारी दफ्तरों में उसने कॉन्ट्रेक्ट पर ड्राइविंग भी की. लेकिन अमीर बनने के लिए उसने जुर्म का रास्ता चुन लिया. वह जरायम की दुनिया में कूद पड़ा.
ईडी ने गुवाहटी में दर्ज किया था केस…
उसी साल यानी 2015 में ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कार चोरी रैकेट के सबसे बड़े सरगना अनिल चौहान के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. यह केस ईडी के गुवाहाटी जोनल ऑफिस में दर्ज किया गया था. उस चौहान अपनी पत्नी समेत पुलिस हिरासत में था. ईडी ने उसके खिलाफ गलत तरीके से कमाए गए धन और संपत्तियों को कुर्क करने की कार्यवाही भी की थी.
कुछ दिन छोटी-मोटी चोरी-चकारी करने के बाद वो कारें चुराने लगा. उन दिनों मारुति 800 की बहुत डिमांड थी. लिहाजा वो कार के धंधे में बहुत आगे निकल गया. फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बताया जाता है कि उसने 1990 के दशक में सबसे ज्यादा मारुति 800 कारें चोरी की थीं. चौहान को दिल्ली पुलिस ने सबसे पहले 1991 में गिरफ्तार किया था, लेकिन जल्द ही उसे जमानत मिल गई थी.
उन दिनों अनिल चौहान दिल्ली और आस-पास के राज्यों में कार चोरी करता था. इसके बाद वो चुराई गईं कारों को जम्मू कश्मीर, नेपाल और उत्तर पूर्व के राज्यों में बेचा करता था. इसी दौरान वह गैंडे के सींगों की तस्करी भी करने लगा था. उसका नेटवर्क लद्दाख से नार्थ ईस्ट तक फैल चुका था. यही नहीं, जब दिल्ली में उस पर पुलिस का दबाव बढ़ने लगा तो वह नार्थ ईस्ट के राज्यों में कार चोरी की वारदातों को अंजाम देने लगा था.
इसी दौरान वह असम में जाकर ए क्लास कॉन्ट्रैक्टर बन गया. वहां वो कई तरह के सरकारी ठेके लेने लगा था. जिसकी वजह से वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर आ गया. ईडी ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया और उसकी सारी संपत्ति जब्त कर ली गई. जिसकी वजह से अनिल की कमर टूट गई थी.
चौहान के खिलाफ दर्ज हैं हत्या जैसे संगीन मामले
तब असम में भी चौहान के खिलाफ करीब 26 मामले दर्ज थे. असम कांग्रेस विधायक रूमी नाथ चौहान उस वक्त विवादों में फंस गए थे, जब उन्होंने अनिल के लिए विधानसभा परिसर के लिए कार पास की व्यवस्था की थी. कार-लिफ्टर के साथ उनके कथित संबंधों के लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. बाद में उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी. अनिल चौहान के खिलाफ कार चोरी के अलावा हत्या, आर्म्स एक्ट और तस्करी के कई मामले भी दर्ज हैं.
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने हाल ही में उसे गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस ने अनिल चौहान के कब्जे से 6 अवैध पिस्टल, 7 कारतूस, एक चोरी की बाइक और एक कार बरामद की है. फिलहाल, पुलिस उससे पूछताछ कर रही है.