लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड बहुमत पाने के बाद भारतीय जनता पार्टी अब विधान परिषद में भी बहुमत पाने की जुगत में लग गई है। यूपी चुनाव में जातीय समीकरणों का संतुलन साधती नजर आई भाजपा उसी राह पर आगे कदम बढ़ा रही है।
विधान परिषद (स्थानीय निकाय) के चुनाव के प्रत्याशी घोषित करने में पार्टी ने जातीय संतुलन का खास ख्याल रखा है। संगठन कार्यकर्ताओं को मेहनत का फल देने के साथ ही दूसरे दलों से आए नेताओं से वादा निभाते हुए ही दूसरे चरण के छह और प्रत्याशी भाजपा ने सोमवार को घोषित किए हैं।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण साधते हुए गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को पर्याप्त सीटें देने वाली भाजपा ने यूपी के विधान परिषद चुनाव में एक भी सीट उन्हें नहीं दी है। खुद ही अपने प्रत्याशियों से संतुलन बनाने का प्रयास किया है।
विधान परिषद चुनाव की पहले चरण की 30 और यह छह मिलाकर कुल 36 उम्मीदवारों में 16 क्षत्रिय और 11 पिछड़ा वर्ग से हैं। पांच ब्राह्मण तो तीन वैश्य और एक कायस्थ समाज से हैं। इनमें 11 उम्मीदवार वह हैं, जो दूसरे दल से भाजपा में आए हैं, जबकि 25 पर संगठन के कार्यकर्ताओं को मौका दिया गया है।
सोमवार को घोषित किए विधान परिषद की छह सीटों पर भाजपा ने बस्ती-सिद्धार्थनगर स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र से पार्टी के प्रदेश मंत्री सुभाष यदुवंश, कानपुर-फतेहपुर से अविनाश सिंह चौहान और वाराणसी से डा. सुदामा सिंह पटेल को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं, तीन उम्मीदवार दूसरे दलों से आए नेता बनाए गए हैं।
इनमें जौनपुर सीट पर सपा के एमएलसी रहे बृजेश सिंह प्रिशु को टिकट दिया है। सपा छोड़कर भाजपा में आए शैलेंद्र प्रताप सिंह को सुल्तानपुर तो मीरजापुर-सोनभद्र सीट से विनीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है।