ऊधम सिंह नगर। रुद्रपुर में बाल विवाह रोकने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की ओर से तमाम प्रयास किए गए लेकिन यह कुप्रथा खत्म नहीं हो पा रही है। रुद्रपुर में एक साल में बाल विवाह के तीन मामले सामने आए थे और एक मामले में माता-पिता सहित छह लोगों पर केस दर्ज हुआ था। इसके बावजूद संबंधित विभाग के पास बाल विवाह के आंकड़े नहीं हैं।
दरअसल तराई में बाल विवाह के मामले में सामने आते रहते हैं। सरकारी स्तर पर चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों के चलते इसमें काफी कमी आई है। लेकिन गुपचुप तरीके से बाल विवाह किए जा रहे हैं। जनवरी 2023 में बाल विवाह के मामले में पीड़िता की शिकायत पर ट्रांजिट कैंप थाना पुलिस ने छह लोगों पर केस दर्ज किया था।
वहीं रुद्रपुर में अप्रैल और जून 2023 में हो रहा बाल विवाह एनजीओ के दखल के बाद रोका गया था। मई 2021 में दिनेशपुर में 13 साल की नाबालिग का विवाह 40 साल के व्यक्ति से करने के मामले में मां-पिता समेत तीन के खिलाफ बाल विवाह अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। दिसंबर 2020 में किच्छा में 12 वर्षीय बच्ची की शादी कर दी गई थी।
भाई की शिकायत पर सौतेली मां और पिता समेत छह लोगों पर केस दर्ज किया गया था। ये वह मामले हैं, जो सामने आए थे। लेकिन कई ऐसे मामले हैं, जिनमें बाल विवाह करा दिए गए। हालांकि महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के पास बाल विवाह के आंकड़े ही नहीं हैं।
बाल विवाह के कारण
- आर्थिक रूप से कमजोर
- लड़कियों की शिक्षा का निचला स्तर
- लड़कियों को कम सम्मान मिलना
- लड़कियों को आर्थिक बोझ समझना
- सामाजिक प्रथा और परंपराएं
वर्तमान में बाल विवाह के मामलों में कमी आई है। बाल विवाह को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। एनजीओ के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जाता है। विभाग के संज्ञान में एक ही मामला आया था।
– व्योमा जैन, जिला प्रोबेशन अधिकारी