
बेड़ीनाग(पिथौरागढ़)। बेड़ीनाग(पिथौरागढ़) जंगली जानवर खेती उजाड़ रहे हैं। ऐसे में हमारी पूरी मेहनत बेकार हो रही है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन नहीं हैं। इन हालात में पलायन करना हमारी मजबूरी बन गया है। यह बात क्षेत्र के प्रवासियों और महिलाओं ने पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी से कही।
ग्राम विकास और पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने विकासखंड सभागार में प्रवासी और स्थानीय लोगों के साथ बैठक की। लोगों ने कहा कि अधिकांश गांवों में बंदर, लंगूर, सुअर सहित अन्य वन्यजीव फसल और बागवानी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पूरे साल किसान मेहनत करते हैं लेकिन वन्यजीव इसे बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे में उनका खेती-किसानी से किनारा कर रोजगार के लिए पलायन करना मजबूरी बन गया है। लोगों ने कहा कि पलायन रोकने के हर मंच पर दावे हो रहे हैं लेकिन सरकार के पास इसकी कोई ठोस नीति नहीं है।
ग्रामीण स्तर पर शिक्षा की बेहतर व्यवस्था नहीं है। सरकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधि तो अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं लेकिन आम लोगों से बगैर शिक्षकों के अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की बात की जा रही है।
समूह की महिलाओं ने कहा कि यदि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे और स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्था बेहतर होगी तो पलायन रुकेगा। किसान गिरजा शंकर पांडे ने जंगली जानवरों की आबादी रोकने के लिए लोमड़ी की आबादी बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार करने का सुझाव दिया। थर्प निवासी दीपक बाफिला ने कहा कि वह कोरोना काल में दिल्ली से वापस लौटा लेकिन आज तक कोई सुविधा नहीं मिल सकी है। पूर्व ब्लॉक प्रमुख विनीता बाफिला ने कहा कि ग्रामीण स्तर की आवश्यकताओं के अनुसार योजना तैयार करने से पलायन पर अंकुश लग सकता है।
डॉ. एसएस बिष्ट ने कहा कि जंगली जानवरों की समस्या से निपटने के लिए विभागीय समन्वय से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने प्रदेश में शिक्षा के स्तर पर भी चिंता जताई। बैठक में बीडीओ ललित मोहन गोस्वामी, सहायक खंड विकास अधिकारी आनंद स्वरूप ग्वासीकोटी, पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश पाठक, दीपक नेवलिया, महेंद्र वर्मा, रमेश जोशी, मनोज बनकोटी, दीपक सैनी सहित कई लोग शामिल रहे।