‘मैं देख पाता हूं, न मैं चुप हूं, न गाता हूं’ इन भावपूर्ण पक्तियों के रचयता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जमीन से जुड़े रहकर राजनीति करने वाले ‘जनता के प्रधानमंत्री’ के रूप में लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। एक ऐसे इंसान जो बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में लोकप्रिय थे। देश का हर युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था।
वैसे अटलजी के विराट व्यक्तित्व की विवेचना कुछ शब्द, वाक्य या पुस्तक में संभव नहीं है। बहुआयामी और कालजयी महानायक अटलजी भले ही दैहिक रूप से हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, उनकी सोच, उनका चिंतन, उनकी कृति और उनके शब्द करोड़ों भारतीयों के लिए आदर्श हैं। अटल जी राष्ट्रवाद के मुखर स्वर थे, जो स्वर उनकी पत्रकारिता, साहित्य सृजन, संसदीय जीवन, प्रधानमंत्रित्व काल एवं जनसंघ एवं भाजपा अध्यक्ष के रूप में देश को लंबे समय तक देखने को मिला।
भारत की मूल्याधारित राजनीति को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी को उनके कार्यों की बदौलत ही उन्हें भारत के ढांचागत विकास का दूरदृष्टा कहा जाता है। बेदाग छवि और साफ सुथरे सार्वजनिक जीवन की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी जी का हर कोई सम्मान करता था। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। वाजपेयी जी के लिए राष्ट्रहित सदा सर्वोपरि रहा। तभी उन्हें राष्ट्रपुरुष कहा जाता था। अटलजी की बातें और विचार सदा तर्कपूर्ण होते थे और उनके विचारों में सदैव समीचीन सोच झलकती थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ। स्कूली समय से ही भाषण देने के शौकीन, स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण प्रतियोगिताओं में भाग लेनेवाले अटल बिहारी वाजपेयी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन में पत्रकार के रूप में भी काम किया और लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। प्रखर पत्रकार और यशस्वी संपादक के रूप में वे सदैव स्मरणीय रहेंगे।
भारतीय जनसंघ के संस्थापक अटल जी ने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया। 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा पहुंचे अटल जी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ संसदीय दल के नेता के रूप में प्रख्यात रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक को प्रभावित किया।
अटल बिहारी वाजपेयी के मिलनसार व्यक्तित्व के कारण विपक्ष के साथ भी हमेशा उनके सम्बन्ध मधुर रहे। 1975 में इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। 1977 में देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी, तो बतौर विदेश मंत्री अटलजी ने पूरे विश्व में भारत की छवि बनायीं। विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।