तुर्की में आए भयंकर भूकंप की वजह से कई इलाकों में बड़ी बड़ी बिल्डिंग ताश के पत्तों की तरह ढह गए। तुर्की में भूकंप के झटकों ने कई इमारतों को जमींदोज कर दिया। जिससे बड़ी तादाद में लोगों की जान गई और लोग घायल हो गए। तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 15,000 पार कर गई है। वहीं, घायलों की तादाद 35 हजार से ज्यादा है। मरने वालों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
बचाव के प्रयास 72 घंटे गुजर जाने के बाद भी लगातार जारी है। कि भूकंप से बचे 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को पहले तीन दिनों के भीतर बचा लिया गया है।राष्ट्रपति एर्दोगन ने भूकंप के केंद्र कहारनमारस का दौरा किया और प्रतिक्रिया में समस्याओं को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “बेशक, कमियां हैं। इस तरह की आपदा के लिए तैयार रहना संभव नहीं है। बचाव कार्यों के लिए पहले 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ढह गई इमारतों के नीचे कुचले गए लोगों को चिकित्सा की आवश्यकता होती है या उनका खून बह जाता है। कई लोगों को तुर्की में ठंड के तापमान के कारण हाइपोथर्मिया होने की भी संभावना है।
गजियानटेप में इस समय मौसम -5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। इस मौसम में भूकंप में बचे हुए लोगों को कारों में और टेंट में रात गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है। तुर्की में भूकंप से आई तबाही के बाद भारत से मदद भेजे जाने का सिलसिला लगातार जारी है। गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से भारी तादाद में जरूरी सामान तुर्की भेजे गए। इसके साथ ही सीरिया में भी राहत और साम्रगी का एक विमान रवाना हो चुका है।