देवों में प्रथम पूज्य गणपति जी के जीवन से जुड़ी कथाओं का अक्सर लोग गुणगान करते हैं। अब जब गणेशोत्सव चल रहा है तो देशभर में लोग गणेशजी के बल-बुद्धि और पराक्रम की कथा सुनाते हैं। लेकिन उनके विवाह से जुड़ी कथा के विषय में कम ही सुनने को मिलता है। अगर आप भगवान गणेश के भक्त हैं तो आपको यकीनन यह पता होगा कि गणपति जी के दो विवाह हुए थे। लेकिन क्या आपको पता है कि गणपति बप्पा ने दो विवाह क्यों रचाए थे। दरअसल, इसके पीछे की मुख्य वजह एक श्राप था। तो चलिए जानते हैं किसने दिया था गणपति जी को श्राप-
तुलसी जी ने दिया था श्राप
गणेश जी को दो विवाह का श्राप देने वाली और कोई नहीं, बल्कि तुलसी जी थी। एक कथा के अनुसार, एक बार तुलसीजी गणेशजी को तपस्या करते हुए देखती हैं और उन्हें देखते ही तुलसी जी उन पर मोहित हो जाती हैं। जिसके बाद, तुलसीजी गणेशजी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव दिया। हालांकि, गणेशजी ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और इसलिए उन्होंने तुलसी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। जिसके बाद तुलसी जी क्रोधित हो गईं और गुस्से में उन्होंने गणेश जी को श्राप देते हुए कहा कि अब तुम्हारे एक नहीं बल्कि दो विवाह होंगे। जिसके बाद गणेश जी भी तुलसी से क्रोधित हो गए और उन्होंने भी तुलसी को को श्राप देते हुए कहा कि तुम्हारी शादी एक असुर से होगी।
यूं बनी रिद्धि और सिद्धि गणेश जी की पत्नी
रिद्धि और सिद्धि और कोई नही, बल्कि ब्रह्माजी की मानस पुत्रियां थी। एक कथा के अनुसार, गणेश जी यूं तो ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते थे, लेकिन अपनी शारीरिक बनावट के कारण उनके मन में यह विचार भी आते थे कि बढ़े हुए पेट और हाथी वाले मुख के कारण कोई उनसे शादी नहीं करेगा। जिसके कारण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भी उन्होंने दूसरों की शादियों में विघ्न डालना शुरू कर दिया ताकि किसी अन्य का भी विवाह न हो सके। ऐसे में सभी देवगण गणेशजी से परेशान हो गए और मदद मांगने के लिए वह सभी ब्रह्माजी के पास पहुंचे।
जिसके बाद ब्रह्माजी के योग से दो कन्याएं रिद्धि और सिद्धि प्रकट हुई। ब्रह्माजी अपनी इन दोनों पुत्रियों को शिक्षा दिलवाने के लिए गणेशजी के पास पहुंचे और गणेशजी उन्हें शिक्षा देने लगे। लेकिन जब भी गणेशजी के पास किसी की शादी की खबर पहुंचती तो रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटकाने की कोशिश करतीं, ताकि गणेशजी विवाह में विघ्न ना डाल सकें। जिसके बाद गणेशजी क्रोध में रिद्धि सिद्धि को श्राप देने लगे। लेकिन उसी समय ब्रह्माजी पहुंच गए और उन्होंने गणेशजी के सामने रिद्धि और सिद्धि से शादी का प्रस्ताव रखा। गणेश जी ने इसे स्वीकार किया। इस तरह गणेश जी की दो पत्नियां हुईं।