देहरादून। पुरोला नगर पंचायत के बाद अब कई और नगर निकायों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। इनमें मंगलौर नगर पालिका, उत्तरकाशी व मसूरी के नगर निकाय भी शामिल हैं। नगर पालिका मंगलौर में तो करोड़ों के हेरफेर के मामले में शासन स्तर से नोटिस जारी होने के बाद जवाब भी आ गए हैं, जिसमें पालिका अध्यक्ष व चार अधिशासी अधिकारी भी कार्रवाई की जद में हैं। मामले में शासन स्तर पर परीक्षण चल रहा है।
नगर पालिका मंगलौर में पिछले दिनों बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं थीं। यूपी सिंचाई विभाग से बिना एनओसी लिए मंगलौर पालिका ने छोटी नहर की पटरी बनाई थी। करीब 70 लाख लागत की इस सड़क की लंबाई कागजों में कुछ है तो धरातल पर कुछ है। कागजों में पटरी के लिए बनाई गई दीवार की ऊंचाई 2.87 मीटर दिखाई गई थी जो कि मौके पर 1.65 मीटर पाई गई थी।
25 लाख से ऊपर बजट में ई-टेंडर के प्रावधान से बचने के लिए इस सड़क के नौ टेंडर किए गए थे। इसी प्रकार, मंगलौर नगर पालिका में कूड़ा उठान वाली कंपनी का टेंडर 31 मार्च 2022 को खत्म हुआ लेकिन पालिका ने बिना टेंडर अक्तूबर तक उससे कूड़ा उठवाया और करीब 95 लाख रुपये का भुगतान किया। इन अनियमितताओं की शिकायत मिलने के बाद निदेशालय के स्तर से जांच हुई।
निदेशालय ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी थी, जिस पर शासन ने पालिका अध्यक्ष दिलशाद अहमद, तत्कालीन ईओ शाहिद अली, ईओ अजहर अली, ईओ विजय प्रताप चौहान, जेई गुरदयाल सिंह, मीनल गुलाटी अधिशासी अभियंता, अकाउंटेंट दीपक कुमार को नोटिस जारी किया था। पालिका ने कांपेक्टर खरीदा था, जिसकी देरी से डिलीवरी पर पांच हजार एफडीआर जब्त नहीं की गई थी, जिस पर ईओ शाहिद ने रिकवरी कर ली थी।
शासन ने इन मामलों में मंगलौर नगर पालिका के अध्यक्ष समेत सभी संबंधितों को नोटिस जारी किया था। 31 मार्च तक जवाब मांगा गया था, जिसकी तिथि बाद में बढ़ाकर 15 अप्रैल कर दी गई थी। अब सभी के जवाब आने के बाद शासन स्तर पर उनका परीक्षण किया जा रहा है। मामले में कार्रवाई हो सकती है।
नगर पालिका उत्तरकाशी में वित्तीय अनियमितताओं की जांच पूरी हो चुकी है, जिसका परीक्षण शासन स्तर पर चल रहा है। यहां कार्रवाई हो सकती है। नगर पालिका मसूरी में जमीनों को बिना शासन की अनुमति लीज पर देने की जांच भी चल रही है। मामले में निदेशालय स्तर पर जांच जारी है।