
जोधपुर: अणुव्रत लेखक मंच के सदस्य एवं साहित्यकार सुनील कुमार माथुर ने कहा कि श्रेष्ठ साहित्य सृजन समय की मांग है और इसे पढ़ने के साथ-साथ युवाओं को इसे अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने यह बात सलिल संस्था, सलूम्बर द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘सलिल प्रवाह’ की समीक्षा करते हुए व्यक्त की। माथुर ने कहा कि साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि श्रेष्ठ साहित्य से व्यक्तित्व का निर्माण भी होता है।
माथुर ने बताया कि सलिल प्रवाह का यह अंक साहित्यकार श्याम पलट पांडेय पर केंद्रित है और इसमें ‘गागर में सागर भरने’ का प्रयास किया गया है। पुस्तक में सरस्वती वंदना, संस्था गीत, संवाद सेतु, 15वां राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन, पुस्तक चर्चा, संगोष्ठी, परिसंवाद की रिपोर्ट, साक्षात्कार, बाल कविताएं, शब्द पहेली, रास्ता खोजें शब्दायन (पाठकों के पत्र), समीक्षा संकुल, बाल संस्कारों के स्त्रोत, भावों की सरिता, बाल साहित्य के समर्पित साधक डॉ राष्ट्र बंधु और हमारे गौरव डॉ शकुंतला कालरा पर व्यापक रूप से लिखा गया है।
साहित्यकार ने संपादन टीम की भी प्रशंसा की और कहा कि प्रधान संपादक डॉ विमला भंडारी और संपादक प्रकाश तातेड का प्रयास सराहनीय रहा। उन्होंने कहा कि इस तरह की साहित्यिक पहलें युवाओं को प्रेरित करने के साथ-साथ साहित्यिक चेतना बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।