
उत्तरकाशी। सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, आज भी मां गंगा की उत्सव डोली मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने पर पैदल ही मुखबा से गंगोत्री धाम और वापस मुखबा तक पहुंचाई जाती है।
गंगोत्री धाम में कपाट खुलते समय डोली को तीर्थपुरोहित और ग्रामीण मुखबा से जांगला तक खतरनाक पगडंडियों से पैदल ले जाते हैं। इसी प्रकार कपाट बंद होने पर डोली गंगोत्री से मुखबा तक पैदल ही आती है। इस दौरान तीर्थपुरोहितों को सबसे अधिक कठिनाई जांगला से मुखबा तक सात किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग में खड़ी चट्टानों और पहाड़ी पगडंडियों से गुजरते समय होती है।
स्थानीय ग्रामीण लंबे समय से मुखबा से जांगला तक सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। खासकर बर्फबारी के दौरान यह मार्ग और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
जिलाधिकारी सहित वन विभाग और लोनिवि के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर इस मार्ग पर सड़क निर्माण के लिए संयुक्त सर्वे और जल्द कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। तीर्थपुरोहित सुधांशु सेमवाल ने कहा कि सड़क निर्माण से न केवल तीर्थपुरोहितों और ग्रामीणों को सुविधा होगी, बल्कि यह गंगोत्री हाईवे के विकल्प के रूप में भी काम आएगा।
तीर्थपुरोहित विषम परिस्थितियों के बावजूद उत्सव डोली को पूरी श्रद्धा और परंपरा के अनुरूप ले जाते हैं, जो इस यात्रा की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को दर्शाता है।