अल्मोड़ा। स्याल्दे तहसील मुख्यालय में चौकोट संघर्ष सेवा समिति ने अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। समिति का कहना है कि लंबे समय से क्षेत्र की बुनियादी आवश्यकताओं की अनदेखी की जा रही है, जिससे स्थानीय जनता में भारी आक्रोश है। इस आंदोलन को उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) सहित क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक संगठनों और ग्रामीणों का समर्थन मिल रहा है।
आक्रोशित लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को और अधिक व्यापक रूप दिया जाएगा। उनका कहना है कि स्याल्दे और चौकोट क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य, शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं।
समिति की प्रमुख आठ सूत्रीय मांगें इस प्रकार हैं —
स्याल्दे के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का दर्जा दिया जाए,
देघाट सीएचसी में सभी मानक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं,
युवाओं को तकनीकी शिक्षा के अवसर देने के लिए आईटीआई में नए व्यवसायिक ट्रेड शुरू किए जाएं और अनुदेशकों की कमी को दूर किया जाए,
स्याल्दे के महाविद्यालय में बीबीए और बीसीए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं,
चौकोट क्षेत्र में पॉलिटेक्निक संस्थान की स्थापना की जाए,
स्याल्दे बाजार में पेयजल संकट का स्थायी समाधान किया जाए,
क्षेत्र में हाईटेक शौचालय बनाए जाएं,
और लावारिस गोवंश की सुरक्षा के लिए गोशालाओं का निर्माण शीघ्र किया जाए।
आमरण अनशन पर बैठे ललित सिंह बिष्ट ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। क्रमिक अनशन पर राकेश बिष्ट, पूरन पालीवाल, प्रधान महेश्वरी देवी, राज्य आंदोलनकारी जगत सिंह कंडारी और हिम्मत सिंह बैठे हैं।
आंदोलन को समर्थन देने वालों में अशोक कुमार, विपिन नैनवाल, प्रताप अटवाल, प्रेम गिरी गोस्वामी, चंदन गिरी, ललित अधिकारी और विजय पंत सहित अनेक स्थानीय नागरिक शामिल रहे। लोगों ने सामूहिक रूप से सरकार से शीघ्र निर्णय की मांग करते हुए कहा कि स्याल्दे जैसे पहाड़ी क्षेत्र की उपेक्षा अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

