रुद्रप्रयाग। पंचकेदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आगामी 18 नवंबर को शीतकाल के लिए विधि-विधानपूर्वक बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने के साथ ही भगवान मद्महेश्वर की चल उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। यह पारंपरिक यात्रा हर वर्ष की भांति धार्मिक आस्था और भक्तिभाव से संपन्न होगी। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद डोली 18 नवंबर की रात ग्राम गौंडार में विश्राम करेगी। इसके बाद 19 नवंबर को डोली रांसी गांव स्थित राकेश्वरी मंदिर पहुंचेगी, जहां भक्तों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। 20 नवंबर की रात्रि को डोली गिरीया गांव में विश्राम करेगी और अगले दिन, यानी 21 नवंबर को दोपहर दो बजे पंचकेदारों के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ पहुंचेगी। यहां भगवान मद्महेश्वर की पूजा-विधि पूरी सर्दियों के दौरान संपन्न होगी। मंदिर समिति के अनुसार, कपाट बंद होने की प्रक्रिया वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक धार्मिक विधानों के साथ संपन्न की जाएगी, जिसमें तीर्थ पुरोहितों, स्थानीय ग्रामीणों और दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं की उपस्थिति रहेगी। हर वर्ष की तरह इस बार भी यात्रा मार्गों पर सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। ऊखीमठ पहुंचने पर भगवान की डोली का पारंपरिक ढोल-दमाऊं, जयघोष और फूलों की वर्षा के साथ भव्य स्वागत किया जाएगा।

