देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस ने 2027 विधानसभा चुनावों को देखते हुए गणेश गोदियाल को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अपना ‘फेस’ तो सामने रख दिया है, लेकिन सत्ताधारी भाजपा किसी भी कीमत पर कांग्रेस को मजबूत राजनीतिक आधार (बेस) नहीं बनाने देना चाहती। इसी रणनीति के तहत भाजपा ने अपने अनुभवी और असरदार नेताओं को मैदान में सक्रिय कर दिया है।
भाजपा नेता सार्वजनिक रूप से भले ही गोदियाल के प्रभाव को कमतर दिखा रहे हों, लेकिन अंदरखाने पार्टी इस बदलाव को गंभीर चुनौती के रूप में ले रही है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर हुए नेतृत्व परिवर्तन को हल्के में लेना नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए कांग्रेस नेताओं—विशेषकर हरीश रावत से लेकर हरक सिंह रावत तक—की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। जिलावार नए कांग्रेस अध्यक्षों की हर हलचल भी भाजपा के रडार पर है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि प्रतिद्वंद्वी को कमजोर आंकना चुनावी राजनीति में सबसे बड़ी गलती है। खासकर जब प्रदेश की राजनीति क्षत्रिय–ब्राह्मण समीकरण में उलझी हो और गोदियाल का चयन एक नए राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा हो।
सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेताओं की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए भाजपा ने अपनी मीडिया व प्रवक्ता टीम को भी पूरी तरह सक्रिय कर दिया है। वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेश जोशी, मनवीर चौहान सहित पूरी टीम लगातार बयान जारी कर रही है, ताकि कांग्रेस के किसी भी बयान का जनमानस पर प्रभाव न पड़े।
अब नजर इस पर है कि नया नेतृत्व कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता में कितना असर छोड़ पाता है और यह बदलाव भविष्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।
